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26 मार्च 2013

होली पर्व का वैज्ञानिक आधार :----------



भारत ऋषि मुनियों का देश है । ऋषि-मुनि यानी उस समय के वैज्ञानिक जिनका सार
चिंतन- दर्शन विज्ञान की कसौटी पर खरा-,परखा, प्रकृति के साथ सामंजस्य
स्थापित करता रहा है । पश्चिम के लोग भारत को भूत-प्रेत व सपेरों का देश कहते
हैं ,मगर वह भूल जाते हैं कि विश्व में भारत ही एक मात्र देश है जिसके सारे
त्यौहार, पर्व ,पूजा पाठ, चिंतन-दर्शन सब विज्ञान की कसौटी पर खरा- परखा है ।
हमारे ऋषि-मुनियों ने विज्ञान व धर्म का ताना-बाना बुना और ताने-बाने से
निर्मित इस चदरिया को त्योहारों व पर्वों के नाम से समाज के अंग-अंग में
प्रचलित किया ।

भारत में मनाया जाने वाला होली पर्व भी विज्ञान पर आधारित है । इसकी प्रत्येक
क्रिया प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मानव स्वास्थ्य और शक्ति को प्रभावित
कराती है । एक रात में ही संपन्न होने वाला होलिका दहन ,जाड़े और गर्मी की
ऋतू संधि में फूट पड़ने वाली चेचक,मलेरिया,खसरा तथा अन्य संक्रामक रोग कीटाणुओं
के विरुद्ध सामूहिक अभियान है । स्थान -स्थान पर प्रदीप्त अग्नि आवश्यकता से
अधिक ताप द्वारा समस्त वायुमंडल को उष्ण बनाकर सर्दी में सूर्य की समुचित
उष्णता के अभाव से उत्पन्न रोग कीटाणुओं का संहार कर देती है । होलिका
प्रदक्षिणा के दौरान 140 डिग्री फारनहाईट तक का ताप शरीर में समाविष्ट होने
से मानव के शरीरस्थ समस्त रोगात्मक जीवाणुवों को भी नष्ट कर देता है ।

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