वासुकीनाथ का मंदिर भी वैद्यनाथ धाम मंदिर के समान ही आस्था एवं
श्रद्धा का केन्द्र है.। जिस प्रकार वैष्णों देवी के दर्शन के बाद भैरोनाथ
का दर्शन किए बगैर यात्रा अधूरी मानी जाती है उसी तरह वैद्यनाथ धाम की
यात्रा के बाद वासुकी बाबा का दर्शन आवश्यक माना जाता है। देवघर से लगभग
42 किलो मीटर दूर झारखंड प्रांत के दुमका जिला में स्थित है।
वासुकीनाथ से जुड़ी कथाएं
वासुकी नाथ से जुड़ी एक कथा है कि सागर मंथन के समय शिव ने नागराज
वासुकी की सेवा से प्रसन्न होकर उन्हें अपनी भक्ति का आशीर्वाद दिया था.
दंत कथाओं में कहा जाता है कि यह शिवलिंग नागराज वासुकी द्वारा स्थापति
है. वर्षों पहले रात्रि के समय नाग इस शिवलिंग की पूजा किया करते थे।
रात्रि के समय बड़ी संख्या में नाग यहां आकर शिव जी को दुग्ध स्नान कराते
हैं।. बाद में लोगों को जब इस स्थान का पता चला तब यहां वासुकी नाथ का
मंदिर बनवाया गया।
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