कोटा। हाड़ौती में जल्द ही राष्ट्रीय स्तर का एकमात्र गोवंश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान बनेगा। इसमें देशी प्रजाति की गायों का संरक्षण तथा अन्वेषण किया जाएगा तथा गोबर गैस से एलपीजी गैस व बुल पावर से बिजली बनाई जाएगी। इसके अलावा अन्य कई उत्पाद भी तैयार किए जाएंगे। संस्थान की स्थापना राष्ट्रीय गौ सेवा महासंघ द्वारा की जाएगी।
यह होगा फायदा
संस्थान में बूल पावर से विद्युत उत्पादित की जाएगी, वहीं गोबर गैस संयंत्र लगाकर गोबर गैस को एलपीजी व सीएनजी गैस में कन्वर्ट किया जाएगा। स्लरी, गोबर व गौ मूत्र से कीटनाशक, गौ अर्क, पेय पदार्थ, जैविक खाद, पंचगव्यों से कई आयुर्वेदिक औषघियों का निर्माण किया जाएगा। सोप, शैम्पू व अन्य कई कॉस्मेटिक आइटम भी बनाए जाएंगे। गोबर से टाइल्स का निर्माण भी किया जाएगा।
इनका लेंगे मार्गदर्शन
इसमें इण्डियन एग्रीकल्चर रिसर्च काउंसिल, राष्ट्रीय खादी कमीशन, राष्ट्रीय फोडर डवलपमेंट कार्पोरेशन, राष्ट्रीय उत्पादन परिषद, राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्पोरेशन, पर्यावरण विभाग निगम, इंटरनेशनल वेटेरनरी काउंसिल, राष्ट्रीय आयुर्वेदिक परिषद का मार्गदर्शन लिया जाएगा।
ऎसे होगा एकत्रित
गोबर एकत्रित करने के लिए गोबर को-ऑपरेटिव सोसायटी बनाई जाएगी। इसके माध्यम से पशुपालकों से गोबर खरीदा जाएगा। गोबर बैंक भी रहेगी साथ ही सीमन, गौमूत्र, टिश्यू कल्चर व अन्य बैंक स्थापित किए जाएंगे।
26 नस्लों की गायों पर होगी रिसर्च
गौ विज्ञान केन्द्र पर 26 नस्लों की गायों पर रिसर्च की जाएगी। इनमें मुख्य रूप से गीर, राठी, काकरज, पाईवाल, निम्बाड़ी, हारपारकर, नारी व अन्य नस्लें जो लुप्तप्राय: होती जा रही हैं, शामिल हैं। गौ महासंघ देश की 10 प्रतिभाओं को विभिन्न विषयों में विभिन्न विश्वविद्यालयों से आयुर्वेदिक, दूध उत्पादन, बूल पावर टेक्नोलॉजी, पंचगव्य उत्पादन समेत अन्य विषयों में पीएचडी करवाएगा, जो कि इसी संस्थान में कार्य करेंगे।
इनका कहना है
स्वदेशी गायों के संरक्षण, संवर्द्धन तथा पंचगव्यों की उपयोगिता के उद्देश्य से हाड़ौती में अनुसंधान संस्थान की स्थापना की जा रही है। क्षेत्र के 5 उद्योगपतियों ने संस्थान की स्थापना में रूचि दिखाई है।
राजेन्द्र सिंह राजपुरोहित, अध्यक्ष, राष्ट्रीय गौ सेवा महासंघ
हेमंत शर्मा
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