'भिखारी' को भेज दिया 35 लाख का बिल
नई दिल्ली. सामाजिक कार्यकर्ता से राजनेता बने अरविंद केजरीवाल
दिल्ली के सुंदरनगरी इलाके में बिजली और पानी के बिलों के खिलाफ असहयोग
आंदोलन कर रहे हैं। केजरीवाल को अन्न त्यागे 6 दिन हो गए। उनके इस आंदोलन
पर तमाम तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं, कहा जा रहा है कि वह लोगों में
अराजकता फैला रहे हैं और एक निरंकुश व्यवस्था की ओर लोगों को ले जा रहे
हैं।
लेकिन अगर आप 65 साल के कुष्ठ रोगी कार्तिक यादव की कहानी सुनेंगे तो
आप कहेंगे कि जनता अराजक नहीं है बल्कि व्यवस्था अराजक हो गई है। कार्तिक
अपनी 60 साल की पत्नी कुसमकली और 22 वर्षीय बेटी अंजना यादव के साथ
ताहिरपुर स्थित एकता विहार कुष्ठ आश्रम की झुग्गी नंबर 441 में रहते हैं।
उन्हें यह झुग्गी सरकार ने साल 1995 में दी थी। बड़ी बेटी की शादी हो जाने
के बाद अब उनके परिवार में तीन ही लोग हैं जिनके लिए एक कमरे का मकान बहुत
छोटा होते हुए भी पर्याप्त है।
कार्तिक यादव और उनकी पत्नी कुसमकली दोनों को 1800 रुपये प्रति माह की
पेंशन मिलती है। यानि दोनों को 3600 रुपये महीना मिलते हैं। हर महीने करीब
400 रुपये का बिजली का बिल भरने में कार्तिक यादव को कोई दिक्कत नहीं थी।
उनका परिवार पिछले सात साल से बिना देर किए नियमित बिजली का बिल भर रहा
था।
लेकिन इस साल जनवरी में बिजली कंपनी ने उन पर वज्रपात कर दिया। 11
जनवरी को उनके घर बिजली विभाग के लोग आए और बिजली बिल न जमा होने का नोटिस
दिया। इससे पहले उन्हें बिजली विभाग की ओर से कोई नोटिस नहीं मिला था।
बिजली विभाग के लोगों ने कहा, 'हम तो तीन दिन में दोबारा आएंगे, तुम तब तक
बिजली विभाग जाकर इसके बारे में पता कर लेना।' कार्तिक यादव उस दिन घर पर
नहीं थे, पत्नी कुसुमकली ने नोटिस ले लिया।
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