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14 मार्च 2013

तेल की धार से बदलेगी तकदीर, 3,33,820 को मिलेगा रोजगार


 

जयपुर.राजस्थान में लगने जा रही रिफाइनरी प्रदेश के आर्थिक परिदृश्य को पूरी तरह बदल देगी। प्रदेश पर धन की बरसात होगी। रिफाइनरी को लेकर एचपीसीएल और राज्य सरकार के सामने नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाईड इकनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) की गोपनीय रिपोर्ट पेश की गई है। रिफाइनरी से राज्य को हर साल 2500 करोड़ रुपए का टेक्स रेवेन्यू मिलेगा। उस समय तक कच्चे तेल से 12500 करोड़ रुपए रॉयल्टी के रूप में मिल रहे होंगे। यानी हर साल प्रदेश को 15000 करोड़ रुपए कच्चे तेल और रिफाइनरी से मिलेंगे।
 
भास्कर को इस रिपोर्ट के कुछ हिस्से हाथ लगे हैं। अगर इन पर भरोसा करें तो रिफाइनरी के निर्माण के दौरान  हर साल लगभग 11,978 करोड़ रुपए लगेंगे। इससे प्रदेश की विकास दर में 4% की रफ्तार आएगी। जब प्रोडक्शन फेज शुरू होगा तो रोजगार बेतहाशा बढें़गे। कॉम्पलेक्स को भी जोड़ लें, तो कुल चार लाख लोगों को रोजगार मिलेगा। आसपास के इलाकों और प्रदेश के बाकी हिस्सों में व्यावसायिक गतिविधियां तेजी से बढ़ेंगी। रोजगार के मामले में कॉम्पलेक्स का कंट्रीब्यूशन 10% होगा। यह परियोजना प्रदेश के आर्थिक विकास के योगदान में मील का पत्थर बनेगी। 
 
एनसीईआर की रिपोर्ट प्रदेश के विकास और रोजगार के मामले में इतनी उम्मीदें जगाती है कि राज्य सरकार के अधिकारी खुद आश्चर्यचकित हैं। 
 
भास्कर ने रिपोर्ट मिलने के बाद जब मुख्य सचिव सीके मैथ्यू, प्रमुख वित्त सचिव डॉ. गोविंद शर्मा और पेट्रोलियम सेकेट्ररी सुधांश पंत से इन संभावनाओं के बारे में जानना चाहा तो सभी ने कहा कि रिपोर्ट में दशाई गई उम्मीदें वाकई उत्साहजनक हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि शुरू में बताया जा रहा था कि रिफाइनरी वायबल नहीं है, लेकिन जब इन उम्मीदों को तथ्यों की रोशनी में देखा तो उन्होंने तय कर लिया था कि रिफाइनरी तो लेकर ही रहेंगे। यूपीए चेयरपर्सन और प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह तक के सामने यह तथ्य रखे गए।
 
देश में सबसे ऊपर होगा राजस्थान  
 
एनसीएईआर की रिपोर्ट कहती है कि राजस्थान का बाड़मेर जिला अभी विकास के मानदंडों पर देश में नीचे से छठे स्थान पर है, लेकिन रिफाइनरी न केवल इस जिले को देश में सबसे ऊपर ले जाएगी, बल्कि आर्थिक विकास की दौड़ में विकसित राज्यों को पीछे छोड़ देगी। अभी पश्चिमी राजस्थान के लोग देश भर में रोजगार की तलाश में मारे-मारे फिर रहे थे, लेकिन अब पूरी दुनिया से विशेषज्ञ और सामान्यत: देश भर से लोग रोजगार के लिए पश्चिम राजस्थान में आएंगे। रिपोर्ट के अनुसार कंस्ट्रक्शन के दौरान 93,500 लोगों को सीधे और परोक्ष रूप से रोजगार मिलेगा।  
 
 
ऐसे मिलेगा रोजगार कंस्ट्रक्शन फेज के दौरान पहले साल नौकरियां- 46,071
 
दूसरे साल में-65,510
 
तीसरे साल में- 93,482
 
चौथे साल में- 89,566
 
रिफाइनरी बनने के बाद सह उद्योगों को मिलाकर इतनी नौकरियां-3,33,820
 
टैक्स के रूप में सरकार को पहले साल मिलेंगे- रु. 2243.12 करोड़
 
कॉम्प्लेक्स से क्या मिलेगा?  प्रत्यक्ष, परोक्ष और मिलेजुले तौर पर रोजगार और समृद्धि का बड़ा जरिया बनेगा। मशीनरी, कंस्ट्रक्शन मैटिरियल और सेवा क्षेत्र में रोजगार खुलेंगे।  
 
 
कैसे?
  
पेट्रोलियम सेक्टर, इकॉनोमिक सेक्टर, रेजिडेंशल सेक्टर, इंडस्ट्रियल सेक्टर, ट्रांस्पोर्टेशन, कमर्शियल एक्टिविटीज, सर्विस सेक्टर, एनर्जी आदि में ढेरों काम होंगे। पेट्रो कॉम्पलेक्स लगने के बाद राज्य के औद्योगिकीकरण का नया दौर शुरू होगा। डाउन स्ट्रीम पेट्रो कैमिकल सेक्टर में इन्वेस्टमेंट आएगा।  
 
 
और क्या कहती है रिपोर्ट?  
 
रिफाइनरी का मल्टीपल इफेक्ट होगा। यह प्रदेश के औद्योगिकीकरण का गोल्डन फेज होगा। एसजीडीपी में 86000 करोड़ रुपए का वैल्यू एड होगा। इससे प्रदेश की आर्थिक विकास की रफ्तार तेज होगी। हर जगह ट्रक और ट्रेक्टर काम करते नजर आएंगे। बिजली, पानी और सड़कों संबंधी बेहतरीन इन्फ्रास्ट्रक्चर की जरूरत होगी।
 
पोटाश में होगा राजस्थान का एकाधिकार : गहलोत
 
राजस्थान में पोटाश मिलने की भारी संभावनाएं हैं। इसकी खोज का काम जारी है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुरुवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि प्रदेश में पोटाश तलाशा गया तो आने वाले समय में राजस्थान का एकाधिकार रहेगा। फिलहाल आयातित पोटाश से खाद तैयार हो रहा है। 
 
राज्य में इस तरह की खनिज संपदा से हर कोई वाकिफ है। यदि वैज्ञानिक तरीके से दोहन हुआ तो प्रदेश को खूब लाभ मिलेगा। उल्लेखनीय है कि रिफाइनरी के बाद अगर पोटाश में राजस्थान को सफलता मिलती है तो पैट्रो कैमिकल के बाद केमिकल फर्टिलाइजर उद्योग में भी राजस्थान अग्रणी रहेगा। अभी देश में पोटाश की मांग आयात के जरिए ही पूरी हो रही है।
 
ये हैं दुनिया की टॉप 5 रिफाइनरीज
 
1. जामनगर (गुजरात) : जामनगर स्पेशल इकोनॉमिक जोन का रिफाइनरी कॉम्प्लेक्स दुनिया की सबसे बड़ी रिफाइनरी है। यह निजी क्षेत्र की रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमि. की रिफाइनरी है। 
 
क्षमता- 6.2 करोड़ टन सालाना  बैरल प्रतिदिन - 12.40 लाख
 
2. पेरागुआना रिफाइनरी कॉम्प्लेक्स (वेनेजुएला)
 
यह तीन रिफाइनरीज का कॉम्प्लेक्स है। यहां वेनेजुएला का 71 फीसदी क्रूड प्रोसेस होता है। क्षमता- सार्वजनिक नहीं  बैरल प्रतिदिन - 9.40 लाख
 
3. एस के एनर्जी युलसान रिफाइनरी कॉम्प्लेक्स (दक्षिण कोरिया)
 
यह एशिया की दूसरी सबसे बड़ी रिफाइनरी है। यह एस के एनर्जी कंपनी का एक वेंचर है।  क्षमता- 4.02 करोड़ टन सालाना बैरल प्रतिदिन - 8.50 लाख
 
4. जीएस- केलटैक्स योसू रिफाइनरी (दक्षिण कोरिया)
 
यह एशिया की तीसरी बड़ी रिफाइनरी है। यहां दुनिया का सबसे बड़ी वेक्यूम डिस्टिलेशन यूनिट है। यह दो कंपनियों का जॉइन्ट वेंचर है। 
 
क्षमता- 4 करोड़ टन प्रतिवर्ष  बैरल प्रतिदिन- 7.30 लाख
 
5. एस ऑयल युलसान रिफाइनरी (दक्षिण कोरिया)
 
यह दक्षिण कोरिया की तीसरी बड़ी रिफाइनरी है। यह 2011 में बनकर तैयार हुई। क्षमता- 3.35 करोड़ टन प्रतिदिन बैरल प्रतिदिन - 6.69 लाख
 
राजस्थान में ये स्टडीज बनी रिफाइनरी का आधार
 
> यूओपी ने कॉन्फिग्रेशन और डिजाइन पर स्टडी की 
 
> फिजिब्लिटी स्टडी इंजीनियर्स इंडिया लि. ने की 
 
> एसबीआई कैप्स ने फाइनेंशल एनेलिसिस किया 
 
> एनसीएईआर ने प्रदेश में आर्थिक प्रभावों का अध्ययन किया।  
 
> नेशनल एन्वायर्नमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनईईआरआई) ने प्रदेश में एन्वायर्नमेंटल इंपैक्ट का एसेसमेंट किया।  
 
ये हैं हमारी रिफाइनरी की विशेषताएं
 
> रिफाइनरी कम पेट्रोकेमिकल कॉम्पलेक्स 
 
> कैपेसिटी : 9 एमएमटीपीए 
 
> 50% राजस्थान क्रूड और 50% अरब मिक्स क्रूड के लिए डिजाइन की गई है।  
 
> कुछ बदलावों से इसमें राजस्थान का 100% क्रूड रिफाइन किया जा सकता है।  
 
> 37,230 करोड़ रुपए आएगी रिफाइनरी की लागत
 
ये उद्योग आएंगे
 
आइए समझें कि राजस्थान की औद्योगिक रफ्तार और संस्कृति कैसे बदलेगी :
 
क्रूड : रिफाइनरी से पेट्रोकैमिकल प्रोडक्ट्स : पॉलीप्रोपेलीन, बूटाडीन, पॉलिएथीलीन, बेंजीन/टोलुईन/जिलीन (बीटीएक्स)।
 
और इनका ये उपयोग 
 
पॉलीप्रोपेलीन : पाइप्स, ऑटो ग्रिल्स, इंडोर्स-आउटडोर कार्पेट्स, मैटिंग्स। 
 
 
बूटाडीन: टायर, अढेंसिव्ज, होजेज, गैसकेट्स, ऑटोमोटिव पार्ट्स, शू-सोल्स।
 
पॉलिएथीलीन : बकेट्स, पाइप्स, बॉटल्स, फिल्म्स।
 
बेंजीन/टोलुईन/जिलीन (बीटीएक्स): इनसुलेशन, फुटबॉल, प्रोटेक्टिव कोटिंग्स, पेस्टिसाइड्स, टीवी पार्ट्स, फोम।
 
पर्यावरण का भी रहेगा खयाल 
 
जीरो इफ्लुएंट ऑफ डिस्चार्ज, इको फ्रेंडली टेक्नालॉजी, एमिशन कंट्रोल सिस्टम, ऑन लाइन एमिशन मॉनिटरिंग सिस्टम, ग्रीन बेल्ट का विकास।
 
 
ये सब हो चुका 
 
25 एमजीडी पानी सेंक्शन हो गया 
 
3550 एकड़ जमीन का अधिग्रहण शुरू हो गया।

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