गुहला-चीका। देश में होली का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया
जाता है, लेकिन हरियाणा का एक गांव ऐसा भी है जहां पिछले 300 वर्षों से
होली नहीं मनाई जाती है।
गांव दुसेरपुर के ग्रामीण 300 वर्षों से होली का त्योहार नहीं मना
रहे। गांव निवासी नंबरदार रुलदू राम व नारायणदत्त शास्त्री ने बताया कि
लंबे समय से होलिका दहन न करने के पीछे एक साधु की ओर से लोगों को दिया गया
श्राप है। उन्होंने बताया कि 300 वर्ष पहले गांव में भी सारे देश की तरह
होलिका दहन किया जा रहा था और इस उत्सव में बाबा श्रीराम स्नेही दास भी
गांव के लोगों के साथ शरीक थे।
बाबा का उडा़या था मजाक
बाबा नाटे कद के थे और जिस समय होलिका दहन की जा रही थी, तो गांव के ही किसी व्यक्ति ने बाबा के नाटे कद का मजाक उड़ा दिया।
इससे बाबा इतने गुस्साए कि उन्होंने होलिका दहन के दौरान ही जलती आग में छलांग लगा दी और जीवित ही जल गए।
बाबा ने दिया था श्राप
छलांग लगाने से पूर्व बाबा ने लोगों को श्राप दे दिया कि अब गांव के
लोग उसी समय होलिका दहन कर सकेंगे, जब होली के दिन गांव में किसी महिला के
घर पुत्र पैदा होगा और ठीक इसी दिन किसी भी व्यक्ति की गाय बछड़े को जन्म
देगी।
नहीं हुआ एक साथ पुत्र व बछड़े का जन्म
होली के दिन एकसाथ पुत्र व बछड़े का जन्म अभी तक नहीं हो पाने की वजह से बाबा का यह कठोर श्राप लोग अभी तक झेल रहे हैं।
उन्होंने बताया कि होली के दिन गांव में एक महिला ने पुत्र को तो जन्म
दिया खुशी छा गई लेकिन उसी दिन गांव में किसी के घर बछड़ा पैदा न होने से
लोगों की खुशी निराशा में बदल गई।
बाबा की समाधि पर चढ़ता है दूध
ग्रामीणों ने बताया कि गांव में बाबा की समाधि बनी हुई है और लोग समाधि पर हर मंगलवार बड़ी श्रद्धा से माथा टेकते हैं।
गांव में जब भी किसी की भैंस दुधारू होती है, तो सबसे पहले बाबा की समाधि पर दूध चढ़ाया जाता है और उसके बाद ही दूध का घर में सेवन किया जाता है।
उन्होंने बताया कि बाबा की गांव के लोगों में भारी श्रद्धा है। ग्रामीणों को उस दिन का बेसब्री से इंतजार है, जब गांव में होली के दिन महिला बालक और गाय एक बछड़े को जन्म देगी।
ग्रामीणों ने बताया कि गांव में बाबा की समाधि बनी हुई है और लोग समाधि पर हर मंगलवार बड़ी श्रद्धा से माथा टेकते हैं।
गांव में जब भी किसी की भैंस दुधारू होती है, तो सबसे पहले बाबा की समाधि पर दूध चढ़ाया जाता है और उसके बाद ही दूध का घर में सेवन किया जाता है।
उन्होंने बताया कि बाबा की गांव के लोगों में भारी श्रद्धा है। ग्रामीणों को उस दिन का बेसब्री से इंतजार है, जब गांव में होली के दिन महिला बालक और गाय एक बछड़े को जन्म देगी।
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