आठ साल पहले
पाकिस्तान में रावलपिंडी शहर के मसूद अपने घर से पेशावर के लिए निकले तो आज तक वापस नहीं लौटे हैं.
अधिकारियों का कहना है कि मसूद का कोई अता-पता
नहीं है लेकिन उनकी पत्नी मानती हैं कि मसूद ज़िंदा हैं और खुफिया विभाग की
कैद में हैं.उस दिन को याद कर अमीना कहती हैं, “मेरे पति सुबह नाश्ता करके जो घर से निकले तो आज तक वापस नहीं आए. वो एक आईटी कॉलेज चलाते थे और राजनीति से तो उनका दूर-दूर तक संबंध नहीं था.”
बीबीसी के मैथ्यू बैनिस्टर ने जब उनसे पूछा कि वो अपने पति के गायब होने की क्या वजह मानती हैं तो अमीना ने कहा, “मैं मानती हूं कि अधिकारियों ने उन्हें किसी गलतफहमी में अगवा कर लिया. मैं उनसे पूछती हूं कि मेरे पति कहां हैं तो वो कोई जवाब नहीं देते हैं.”
"मुझे मेरे पति की कई खबरें मिलती हैं. मेरे पास सबूत है, गवाह हैं जिन्होंने उनसे मुलाकात की है. मैनें उनके बयानों के आधार पर सुप्रीम कोर्ट में अर्जी भी दी है"
अमीना जंजुआ मसूद
मदद
लेकिन फिर भी अमीना अभी तक अपने पति की हालत जानने पर सफलता नहीं पा सकी हैं. वैसे इसी खोज में उन्होंने दूसरे ‘गायब’ लोगों की मदद की है.वो कहती हैं, “मेरी संस्था ने 125 बिछड़े लोगों को उनके परिवारवालों से मिलवाया है. अभी तक यही मेरे लिए सबसे बड़ा पुरस्कार है.”
अमीना कहती हैं कि दिन गुजरने के साथ उनकी तकलीफ भी बढ़ रही है लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी है और उन्हें अभी भी उम्मीद है कि उनके पति वापस लौट आएंगे.
वो आज भी अपनी एक बेटी और दो बेटों को दिलासा देती है कि उनके पिता ज़िंदा हैं और जल्दी ही घर वापस आएंगे.
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