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05 फ़रवरी 2013

FACEBOOK से फंसे: मनमोहन-मुलायम का कार्टून पोस्‍ट करने पर गिरफ्तार



आगरा. सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर ‘सांप्रदायिक और भड़काऊ’ पोस्ट डालने पर आगरा के एक शख्स को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। इसने पीएम मनमोहन सिंह, कैबिनेट मंत्री कपिल सिब्बल और सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के आपत्तिजनक कार्टून और पोस्ट डाले थे। 
 
जानकारी के मुताबिक, आगरा के दयालबाग के रहने वाले संजय चौधरी को सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर राजनीतिक हस्तियों से संबंधित पोस्ट डालने पर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उनका लैपटॉप, सिम कार्ड और डाटा कार्ड भी जब्त कर लिया गया है। 
 
आगरा के पुलिस अधिक्षक सुभाष चंद्र दुबे के मुताबिक, पुलिस को सूचना मिली थी कि इस शख्स ने सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर सीएम के बारे में आपत्तिजनक पोस्ट किया है। पुलिस ने सपा सुप्रीमो मुलायम की आपत्तिजनक फोटो पोस्ट करने के आरोप में स्कूल संचालक औऱ इंजीनियर संजय चौधरी को अरेस्‍ट किया। उस पर फोटो के साथ कम्‍युनल कमेंट करने का भी आरोप है। मुलायम के अलावा उसने पीएम मनमोहन सिंह और कपिल सिब्‍बल के कार्टून भी फेसबुक पर अपलोड किए थे। उसे गिरफ्तार करने के बाद उसकी फेसबुक वॉल से सभी कार्टून और कमेंट्स हटा दिए हैं। आरोपी देव पब्लिक स्कूल का चेयरमैन है और उसने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। संजय का कहना है कि उसका फेसबुक एकाउंट हैक कर यह शरारत की गई।
 
फेसबुक पोस्ट पर हुई गिरफ्तारी ने एक बड़ा सवाल भी खड़ा कर दिया है कि क्या प्रशासन सरकार के खिलाफ उठ रही आवाजों को शांत करने के लिए आईटी एक्ट के प्रावधानों का गलत इस्तेमाल भी करता है। साइबर लॉ विशेषज्ञ पवन दुग्गल मानते हैं कि आईटी एक्ट की धारा 66ए के तहत लोगों के विक्टिमाइज होने के चांस बहुत ज्यादा है। 
 
पवन दुग्गल के मुताबिक साइबर अपराध के अधिकतर मामलों में सरकारी एजेंसियां ही यह तय करती हैं कि आप कानून के दायरे में आते है या नहीं आते हैं। धारा 66ए में होनी वाली गिरफ्तारियां बहुत सोच विचार के बाद की जानी चाहिए। इस प्रावधान की कानूनी मान्यता पर भी प्रश्नचिन्ह खड़े किए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट में इस कानून के खिलाफ दायर की गई याचिका विचाराधीन है। बहुत से मामलों में गिरफ्तारी जरूरी नहीं होती लेकिन प्रशासन कड़ा संदेश देने के लिए गिरफ्तारी करता है। बिना-सोचे समझे इस कानून के तहत किसी को भी गिरफ्तार करना तर्कसंगत नहीं है। हालांकि प्रावधानों के तहत प्रशासन गिरफ्तारी कर सकता है। लेकिन यह कहना मुश्किल है कि किसके लिए क्या भावनाओं को आहत करने वाला है। 
 
पवन दुग्गल मानते हैं कि हमारा आइटी एक्ट भी पुराना पड़ गया है। वह कहते हैं, 'हमारा आईटी एक्ट अब रेलिवेंट नहीं है। बहुत से प्रावधानों में संसोधन की जरूरत है। यह कानून 2000 में बना था और संशोधन 2008 में हुआ था। लेकिन पिछले पांच सालों में सोशल मीडिया ने पूरे परिदृश्य को ही बदल कर रख दिया है। मोबाइल के जरिए भी तरह-तरह के अपराध हो रहे हैं। इसलिए मौजूदा समय के हिसाब से यह कानून काफी पिछड़ा है। आवश्यक्ता है कि इस आज के संदर्भ में दोबारा बनाया जाए। यही नहीं सोशल नेटवर्किंग के विभिन्न पहलू भारतीय साइबर लॉ में कवर नहीं हो पाते हैं। हमारे पास दो रास्ते हैं, या तो हम नया कानून लेकर आए या फिर मौजूदा कानून के ही प्रावधानों को ही संशोधित किया जाए।'

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