आपका-अख्तर खान

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21 फ़रवरी 2013

हां मेने अब तक

हां मेने अब तक
जिदंगी के मजे लेने का हो सोचा था
हां मेने अब तक
तुम्हें ही
अपनी बाहों में भरने का सोचा था
तुम तो बेवफा निकले
बस अब तो समझ गए हम
मोत की को खूबसूरती को
खुदा कसम तुम से
करोड़ों करोड़ दर्जे वफादार ईमानदार और खुबसूरत शांत है
इसीलियें तो अब हम
तेरी बाहों की चाह छोड़कर
तुझे अलविदा कहकर
तेरी आखरी ख्वाहिश को पूरा करने के लियें
मोत के इस खुशनुमा आगोश
मोत की इस शोखी भरी बाहों में जा रहे है
इसलियें कहते है
अलविदा ...अलविदा ..अलविदा

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