आपका-अख्तर खान

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14 फ़रवरी 2013

उनकी झील सी आँखों में में समा तो गया

उनकी
झील सी आँखों में
में समा तो गया
लेकिन
रफ्ता रफ्ता
दिल की धड़कन उनकी बढने लगी
उनकी साँसे चलने लगी
बस मुझे उन्होंने
दिल से यूँ निकाला
जेसे पहचानते ही नहीं
अब कहते है नो वेकेंसी नो वेकेंसी
तुम अब मेरे दिल में नहीं ................

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