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13 फ़रवरी 2013

1 हजार कुत्तों की पहरेदारी में बनता है बजट, बिना मोबाइल 7 दिन तक रहते हैं 100 लोग 'कैद'


आम आदमी की भाषा में कहें तो बजट वह है जिससे घर का खर्चा-पानी चलता है, बचत की जाती है और पर्व-त्योहार पर दिल खोल के खर्च किया जाता है। जरा सोचिए, एक घर के खर्चे को चलाने के लिए जिस बजट पर इतनी माथा-पच्ची की जाती है, तो पूरे देश के बजट को बनाने में कितना समय और दिमाग लगाना पड़ता होगा!

भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के अधीन एक संस्था है – इकोनॉमिक अफेयर्स, और इसके अंदर एक विभाग है – बजट डिविजन। यह बजट डिविजन ही है जो हर साल भारत सरकार के लिए बजट बनाता है।  बजट बनाने की प्रक्रिया प्रति वर्ष अगस्त-सितंबर माह में शुरू हो जाती है। इस प्रक्रिया को और बजट के प्रारूप को बहुत ही गोपनीय रखा जाता है।

सुरक्षा के लिहाज से बजट बनने की प्रक्रिया बननी शुरू होने से लेकर बजट पेश होने वाले दिन तक करीब 1 हजार कुत्तों की टीम बराबर बजट की सुरक्षा और गोपनीयता के लिए तैनात की जाती है। बजट का ड्राफ्ट बनने से लेकर बजट प्रिटिंग का कागज, प्रिटिंग, पैकेजिंग और संसद पहुंचने की प्रक्रिया के बीच कई बार बजट को लीक न होने देने के लिए सुरक्षा जांच करते हैं।

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