जयपुर. पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव राहुल गांधी की पार्टी में बढ़ती भूमिका के बीच उनके चार प्रस्तावों ने नेताओं को चिंता में डाल दिया।
उनके ये प्रस्ताव हैं : प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष, जिला अध्यक्ष और प्रमुख पदाधिकारी चुनाव नहीं लड़ें। लगातार
दूसरी बार चुनाव हारने वाले नेताओं को टिकट नहीं दिया जाए। लोकसभा के
उम्मीदवार एक साल और विधानसभा के तीन महीने पहले घोषित कर दिए जाएं। एक
केंद्रीय मंत्री एक राज्य और राज्य सरकार का एक मंत्री एक जिले की
जिम्मेदारी ले।
राहुल गांधी के इन चार प्रस्तावों पर
छोटे से लेकर बड़े नेता तक स्तब्ध से दिखे। अभी इन प्रस्तावों को लागू नहीं
किया गया है, लेकिन पांचों समूहों में आम तौर पर यह माना गया कि ऐसे
प्रस्तावों से पार्टी मजबूत होगी। पार्टी के बुजुर्ग नेता रशीद मसूद और
एमडी मिस्तरी का मानना है कि राहुल की ओर से सुझाए जा रहे ये बदलाव पार्टी
के लिए उपयोगी हो सकते हैं।
राजस्थान के लिए ऐसे समझें इन प्रस्तावों को
1 प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष, जिला अध्यक्ष और प्रमुख पदाधिकारी चुनाव नहीं लड़ें
मायने क्या?
इसके मायने काफी गंभीर हैं, क्योंकि यह संगठन और सत्ता को अलग-अलग
करेगा। पीसीसी अध्यक्ष, यूथ कांग्रेस अध्यक्ष और अन्य प्रमुख पदाधिकारियों
तथा 33 जिला इकाइयों में प्रमुख पदों पर काम कर रहे लोगों को टिकट नहीं
मिलेगा।
असर क्या?
इससे सत्ता-संगठन अलग-अलग होंगे। बड़े
नेता प्रदेशाध्यक्ष नहीं बनना चाहेंगे तो संगठन में युवाओं के लिए जगह
बनेगी। इससे राष्ट्रीयस्तर से लेकर जिलास्तर तक राहुल की पकड़ मजबूत होगी।
पुरानी पीढ़ी
को नई पीढ़ी शिफ्ट करेगी। पहले संगठन में फिर सरकार में।
2. लगातार दूसरी बार चुनाव हारने वाले नेताओं को टिकट नहीं दिया जाए
मायने क्या?
जो नेता चुनावी राजनीति में परफोर्म
नहीं कर पा रहे, उनका टिकट कटेगा। नए लोगों को प्रत्याशी बनने का मौका
मिलेगा। यानी यहां भी फायदा टीम राहुल को ही रहेगा। चुनाव में नए चेहरे
ज्यादा होंगे। नीति बन जाएगी तो टिकट कटने से नेता नाराज भी नहीं होंगे।
असर क्या?
जब टिकट ही नहीं मिलेगा तो दो बार हारने वाले नेता कांग्रेस में क्यों
रहना चाहेगा? वह किसी दूसरी पार्टी में जगह तलाश करेगा या निर्दलीय चुनाव
लड़ सकता है। जिन नेताओं के टिकट कटे, वे निर्दलीय जीत गए। जैसे परसादीलाल
मीणा और गुरमीतसिंह कुन्नर अब मंत्री हैं।
3. लोकसभा उम्मीदवार एक साल और विधानसभा के ३ माह पहले घोषित हों
मायने क्या?
पार्टी को होम वर्क करने का मौका मिलेगा। प्रत्याशी तैयारियां कर
सकेंगे। कहीं कोई प्रत्याशी गलत हुआ तो पार्टी को उसे बदलने का समय रहेगा।
मतदाताओं से संपर्क के लिए ज्यादा समय मिलेगा।
असर क्या?
प्रत्याशी के विरोधी सक्रिय हो जाएंगे। उन्हें चुनाव हराने या भितरघात
के लिए पूरा मौका मिलेगा। प्रत्याशियों का चुनाव खर्च बेहद बढ़ जाएगा।
4.एक केंद्रीय मंत्री 1 राज्य और राज्य सरकार का एक मंत्री 1 जिले की जिम्मेदारी ले
मायने क्या?
मंत्रियों को ग्रूमिंग का मौका मिलेगा। केंद्र के मंत्री राज्यों पर
ध्यान दे पाएंगे और वहां की ऐसी समस्याओं का हल निकाल सकेंगे, जो केंद्र व
राज्य सरकारों के बीच अटकी हुई हैं। इसी तरह जिलों को भी फायदा मिलेगा। अभी
की प्रभारी वाली स्थिति का यह बेहतर रूप होगा।
असर क्या?
राज्य और जिलों में एक समानांतर सत्ता पैदा हो जाएगी। मुख्यमंत्री और
मंत्रियों-विधायकों के बराबर एक नया पावर सेंटर बनने से कलह बढ़ सकती है।
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