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19 जनवरी 2013

राहुल गांधी की चुनौतियां और भाजपा का संकट


नई दिल्‍ली। कांग्रेस ने जहां राहुल गांधी को नई जिम्‍मेदारी दे दी है, वहीं भाजपा में गडकरी को लेकर ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है। भाजपा का एक गुट गडकरी को अध्‍यक्ष बनाए जाने के खिलाफ है। दूसरी ओर, राहुल गांधी को मिली नई जिम्मेदारी चुनौतियों से भरपूर है। उन्हें वर्ष 2013 में नई टीम के सहारे देश के नौ राज्यों के चुनाव में खुद को साबित करना होगा। राहुल गांधी को उपाध्‍यक्ष बनाए जाने के बाद प्रियंका गांधी ने उन्‍हें बधाई दी है। भाई का भाषण सुनने के लिए प्रियंका गांधी जयपुर पहुंच गई हैं। 
 
दूसरी ओर, राहुल गांधी को कांग्रेस का उपाध्‍यक्ष बनाए जाने के बाद से भाजपा में खलबली मची हुई है। सड़क से लेकर फेसबुक तक पर भाजपा नेता और कार्यकर्ता अपनी भड़ास निकाल रहे हैं। भाजपा प्रवक्‍ता शहनवाज हुसैन का कहना है कि राहुल गांधी की नई जिम्‍मेदारी से भाजपा को कोई फर्क नहीं पड़ेगा। 
 
इन सबके बीच, 2014 में आम चुनाव राहुल की अगुवाई में लड़ा जाएगा। पार्टी और सिस्टम में बदलाव की वकालत करने वाले युवा नेता को अब इसे खुद लागू करना होगा। इस जद्दोजहद में बुजुर्ग नेता नाराज न हों, इसका ख्याल रखना होगा। राहुल गांधी की बड़ी चुनौती यह भी होगी कि उनका नेतृत्व सहयोगी दल स्वीकारें। गठबंधन की राह तलाश रही पार्टी में राहुल गांधी की स्वीकार्यता भी मुद्दा होगा। मोदी बनाम राहुल की मुहिम तेज होगी। भाजपा के सामने जवाब में युवा चेहरा पेश करने की चुनौती होगी। 
 
बड़े रोल की शुरुआत यहां से 
 
राहुल गांधी के बड़े रोल की शुरुआत 2009 के आम चुनाव से हो गई थी। उस वक्त राहुल गांधी ने यूपी सहित देश के तमाम हिस्सों में युवक कांग्रेस के नेताओं को टिकट दिलवाया और इनमें से कइयों को जितवाया। यूपी में 22 सीट मिली और यूपीए-2 सरकार बनी तो उन्हें बड़ी जिम्मेदारी देने की मांग मुखर हुई। कांग्रेस कार्यसमिति की हर बैठक, पार्टी की बड़ी रैलियों व कार्यक्रमों में राहुल को बड़ी जिम्मेदारी मुद्दा होता था। प्रणब मुखर्जी जब पार्टी में थे, तब एंटनी, चिदंबरम सहित तमाम बड़े नेता उन्हें प्रधानमंत्री बनाने की मांग समय-समय पर कर चुके हैं। 
 
भाजपा में अध्यक्ष पद को लेकर ऊहापोह बरकरार
 
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का नाम तय करनेको लेकर शनिवार को देर रात तक सरगर्मियां जारी रहीं। पार्टी में अभी अध्यक्ष के नाम को लेकर अंतिम निर्णय नहीं हो सका है। शनिवार को दिन भर भाजपा नेताओं के बीच मुलाकात और बातचीत का दौर चलता रहा। दिलचस्प यह है कि पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की सलाह के बाद पार्टी के उन नेताओं ने भी खुलकर एक-दूसरे से बातचीत की, जो आपस में विरोधी माने जाते हैं। देर शाम आडवाणी से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह भैयाजी जोशी मिले।
 
गौरतलब है कि शुक्रवार को राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए अधिसूचना टाल दी गई थी। पार्टी महासचिव अनंत कुमार नेकहा है कि अगले एक-दो दिन में अधिसूचनाजारी की जाएगी। इसके बाद अध्यक्ष पद केलिए नामांकन होगा। हालांकि उन्होंने यह नहींसाफ किया कि नामांकन गडकरी ही करेंगेया कोई और। शुक्रवार शाम को अधिसूचना टलने के बाद से ही भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में बातचीत का दौर शुरू हो गया थ। फिलहाल भाजपा अध्यक्ष पद को लेकर जिस तरह राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदला है वैसे में गडकरी की दावेदारी को निर्विरोध कहना स्वाभाविक नहीं लग रहा है। अध्यक्ष पद के लिए एक वरिष्ठ नेत्री का भी नाम चर्चा में है।

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