दोस्तों अभी दो दिन पहले जोधपुर में एक निजी शेक्षणिक इदारे ने राजस्थान
तालीमी कोंफ्रेंस के नाम से एक बढ़ा कार्यक्रम रखा कार्यक्रम में राजस्थान
के मुख्यमंत्री और केन्द्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री भी मोजूद थे
...कोंफ्रेंसे में राजस्थान के दूरदराज़ के इलाकों से लोग एकत्रित हुए
उन्होंने इस शेक्षणिक इदारे को देखा सराहा लेकिन कार्यक्रम का जो स्वरूप था
कार्यक्रम के जो मुद्दे थे कार्यक्रम में जो महमान थे वोह वहा जाने वालों
के दिल में एक खटास और कई सवाल छोड़ गए ..मंच से केन्द्रीय मंत्री के रहमान
आकर कहते है के मुसलमानों को पढना चाहिए ..जवाब है के आज हर घर में
ग्रेजुएट बेरोजगार कम से कम मिल जायेगा .......एम ऐ बी एड को सरकार तीन
हजार रूपये में पेरा टीचर बना रही है जबकि इससे भी कम योग्यता वालों को दुसरे पेरा टीचर्स
को सात हजार रूपये महिना मिल रहे है पक्के भवन है ..सुविधाएँ है प्रबोधक
बनने के रास्ते साफ़ है लेकिन उर्दू पेरा टीचर्स के साथ ज्यादती है जबकि हाल
ही में नई नियुक्तियों में विशेष तोर पर मोलाना फजले हक ने दो सो से भी
अधिक हिन्दू समाज के लोगों को नियुक्ति दी है जो भी मदरसों में पेरा टीचर्स
लगे हुए है ..कोटा में एक एम बी ऐ टोपर को होटल चलाना पढ़ रही है
...राजस्थान में और कोटा में कई ऐसे उदाहरण है के मुस्लिम बे पढ़े अपराधिक
चाकुबाज़ों में जिहोने ने खादी पहन ली है जिन्हें हस्ताक्षर करना भी नहीं
आते उन लोगों के सामने सेकड़ों पढ़े लिखे मुस्लिम नोजवानों को नोकरी के लियें
सर झुकाना पढ़ रहा है बेरोज़गारी और पढ़े लिखे मुस्लिमों की बेरोज़गारी चरम
सीमा पर है और फिर अगर कहा जाए मुसलमानों पढो तो मजाक सा लगता है जो पढ़े है
उनमे से दस फीसदी लोगों को भी अगर नोकरी मिल जाए तो हम धन्य हो जायेंगे
.....कोंफ्रेंस में राजस्थान के दुसरे इदारों दुसरे जिलों में शिक्षा के
बारे में कोई नई सोच नहीं बनाई गयी ..मंच पर जिन लोगों को बिठाया गया वोह
कमो बेश केवल और केवल सरकारी मुसलमान थे जिनका कोम के मामले में कोई चिंतन
नहीं था कोई सोच नहीं थी कोई विचारधारा नहीं थी कोई मस्जिद बेचकर मंच पर
बेठा था तो कोई गोपालगढ़ में अपना जमीर बेचकर मंच पर आसीन था ......मंच पर
देश भर के कथित मुस्लिमों के मसीहा जमा थे लेकिन सभी लोग केवल तमाशबीन या
फिर सरकार के एजेंट मात्र थे ..इसी बीच कोटा के एक नोजवान समीउल्ला अंसारी
खड़े हुए और उन्होंने कुछ ज्वलंत सवाल उठा कर सभी को लाजवाब कर दिया ....समीउल्ला
का मंच पर बेठे सरकारी मुसलमानों और राजस्थान के मुख्यमंत्री से सवाल था
के अजमेर शरीफ के सर्वाद शरीफ में योजनाबद्ध तरीके से कुरान मजीद की
बेहुरमती करने वाले लोगों के खिलाफ अब तक सरकार ने क्या कार्यवाही की सरकार
अभी तक दोषियों की गिरफ़्तारी में क्यों हिचक रही है ...समीउल्ला का दूसरा
सवाल था भरतपुर गोपालागढ़ काण्ड में उलटे निर्दोषों को फंसा दिया गया
दोषियों के खिलाफ आज भी कोई कार्यवाही क्यूँ नहीं हो सकी है ..समीउल्ला का
तीसरा सवाल था के भाजपा शासन में कथीर रूप से सिमी के आतंकवादी बना कर जिन
निर्दोष लोगों को गिरफ्तार किया गया था और अदालत ने सभी लोगों को निर्दोष
करार देकर बरी कर दिया है यह लोग कई सालों तक जेलों में यातनाये सहते रहे
इनके परिजन आतंकवादी के परिजन होने का आरोप सहते रहे और आज जब यह लोग अदालत
से बरी हो गए है तो इनके पुनर्वास और क्षतिपूर्ति के लियें सरकार चुप क्यूँ बेठी है जबकि खुद अल्पसंख्यक आयोग का इस मामले में प्रस्ताव है और भी कई ज्वलंत सवाल थे जो अनुत्तरित थे ...अभी
भी कई सवाल है मुस्लिमों की राजनितिक उपेक्षा ...संगठन और सत्ता के
महत्वपूर्ण पदों पर उनकी नियुक्ति नहीं केवल वक्फ बोर्ड मदरसा बोर्ड हज
कमिटी जहाँ किसी दुसरे धर्म समाज के व्यक्ति को नियुक्त किया जाना सम्भव
नहीं है वहीं इन की नियुक्ति की गयी है अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम का गठन
नहीं किया गया है अल्पसंख्यक विभाग की घोषणा तो हुई लेकिन जिलों में बजट
में सिव्क्र्ट पदों पर नियुक्तिया नहीं है ..उप निदेशक कार्यालय खोले नहीं
गए है वक्फ सर्वे पर आजतक हस्ताक्षर कर अधिसूचना जारी नहीं की गयी है ...हज
हाउस नहीं बनाया गया है ....मदरसा बोर्ड में मार्च दो हजार बारह का बजट
स्वीक्रत होने पर भी अब तक दो हजार स्वीक्रत और दो हजार पुरानी खाली पढ़े
पदों पर नियुक्तिया नहीं की गयी है ऐसे बहुत से सवालात है जी पर न तो
कोंग्रेस के चिंतन शिविर में विचार होता है और ना ही मुस्लिम इदारों के
कार्यक्रमों में चिंता व्यक्त की जाती है ऐसे में इस कोम का क्या होगा जो
जरा सा पद मिलते ही अपना धर्म मजहब भुलाकर सरकार के तलवे चाटने लगते हों
उनका जमीर क्या कहिये ................अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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