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22 जनवरी 2013

अदालत से फरार हो गए बर्खास्त जज


जबलपुर जिला एवं सत्र न्यायालय के भृत्य मोहम्मद नियाज को आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरित करने का आरोपी बर्खास्त सिविल जज सोमवार को अदालत से फरार हो गए। उन्होंने यह कदम जेल भेजे जाने के डर से उठाया। उसकी इस हरकत के लिए एक और अपराध पंजीबद्घ होना तय है।
खबरों में बताया गया है कि हाईकोर्ट द्वारा बर्खास्त सिविल जज नितिन कुमरे बार-बार मोहलत के बावजूद पिछली कई पेशियों से अदालत में हाजिर नहीं हो रहे थे। इस रवैए को आडे़ हाथों लेते हुए 6 दिसंबर को पेशी के दौरान जिला एवं सत्र न्यायाधीश भरत माहेश्वरी की अदालत ने गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया था। इसके तहत पुलिस को 24 जनवरी तक गिरफ्तार करके पेश करने कहा गया था। इसी स्थिति से बचने श्री कुमरे 21 जनवरी को डीजे कोर्ट चले आए। वे गिरफ्तारी वारंट निरस्त कराने की जुगत भिड़ा रहे थे। इसकी भनक लगते ही डीजे ने गिरफ्तारी के निर्देश दे दिए।
जब कुमरे को अदालत से सीधे जेल भेजे जाने की आशंका ने घेरा तो वे अपनी जान बचाकर भाग निकले। कानूनी सूत्रों का कहना है कि इस हरकत के लिए पहले से धारा-306 के आरोपी बर्खास्त जज के खिलाफ अब धारा-224 की भी कार्रवाई तय है।
इस मामले में जबलपुर निवासी परवीन बानो का आरोप है कि न्यायिक दंडाधिकारी के पद पर रहने के दौरान नितिन कुमरे ने उसके पति मोहम्मद नियाज को, जो कि जिला कोर्ट में भृत्य था, जमकर प्रताड़ित किया। उस पर 50 हजार रपए चोरी करने का झूठा आरोप मढ़कर जेल भिजवाने की धमकी दी गई। कमरे में बंद करके पिटाई भी की गई। इस वजह से नियाज ने 27 फरवरी 2010 को आत्महत्या कर ली।
हनुमानताल पुलिस ने मृतक के सोसाइड नोट के आधार पर भारतीय दंड संहिता की धारा-306 के तहत अपराध कायम किया था। जिसके बाद हाईकोर्ट में शिकायत की गई। नतीजतन जज नितिन कुमारे को बर्खास्त कर दिया गया।

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