आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

23 जनवरी 2013

ऐ मेरे हमसफर

ऐ मेरे हमसफर
तू क्यूँ
मुझ से अलग रहता है ..
मेरी जिंदगी तू है
तेरी जिंदगी में हूँ
फिर तुझे
अभी तक
यह सच क्यूँ नहीं पता है ..... 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...