दिल्ली.
महात्मा गांधी जिन्हें देश 'बापू' कहकर संबोधित करता है, रोज शाम को
प्रार्थना किया करते थे. 30 जनवरी 1948 की शाम जब वो संध्याकालीन प्रार्थना
के लिए जा रहे थे तभी नाथूराम गोडसे नाम के शख्स ने पहले उनके पैर छुए और
फिर सामने से उनपर तीन गोलियां दाग दीं. उस वक़्त बापू अपने अनुचरों से
घिरे हुए थे.
नाथूराम
इससे पहले भी बापू के हत्या की तीन बार (1934, मई और सितम्बर 1944 में )
कोशिश कर चुका था, लेकिन असफल होने पर वह अपने दोस्त 'नारायण आप्टे' के साथ
वापस मुंबई चला गया. इन दोनों ने 'दत्तात्रय परचुरे' और 'गंगाधर दंडवते'
के साथ मिलकर 'बेरेत्ते' (Beretta) नामक पिस्टल खरीदी. असलहे के साथ ये
दोनों 29 जनवरी 1948 को वापस दिल्ली पहुंचे और दिल्ली स्टेशन के रिटायरिंग
रूम नंबर 6 में ठहरे.
30
जनवरी 1948 की शाम जब बापू प्रार्थना के लिए जा रहे थे तभी गोडसे ने
उन्हें रोकने की कोशिश की जिसपर बापू को सहारा दे रही एक स्त्री ने गोडसे
से कहा "भाई, बापू को पहले ही देर हो चुकी है"गोडसे ने उस स्त्री को धक्का
दिया और .38 बेरेत्ते पिस्टल से उनके सीने पर एक के बाद एक तीन गोलियां दाग
दीं.
बापू
की हत्या के बाद नन्द लाल मेहता द्वारा दर्ज एफआईआर के मुताबिक़ उनके मुख
से निकला अंतिम शब्द 'हे राम' था. हालांकि इस बात की कोई जानकारी नहीं
मिलती की क्यों गोली लगने के बाद भी उन्हें अस्पताल ले जाने की जगह बिरला
हाउस में ही वापस ले जाया गया.
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