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08 जनवरी 2013

मूक-बधिर छात्राओं को सजा के लिए भेजते थे लड़कों के हॉस्टल


भोपाल/सीहोर.  बाल आयोग का आकस्मिक निरीक्षण, गायब मिलीं 9 से 14 वर्ष की 18 छात्राएं , सभी मानसिक रूप से कमजोर और मूक-बधिर।
 
सीहोर में एक स्वयंसेवी संस्था द्वारा संचालित गल्र्स हॉस्टल की मानसिक रूप से कमजोर व मूक-बधिर छात्राओं को सजा के तौर पर लड़कों के हॉस्टल में भेजने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। इनका कसूर सिर्फ इतना था कि इन्होंने हॉस्टल प्रबंधन से व्यवस्थाओं को लेकर शिकायत की थी। यही नहीं, हॉस्टल से 18 छात्राओं के गायब होने की भी खबर है। सभी की उम्र 9 से 14 साल के बीच बताई जा रही है। 
 
 
प्रशासन को नहीं मिलीं हॉस्टल में 18 छात्राएं  
हॉस्टल में गड़बड़ी की शिकायत मिलने पर 15 दिसंबर को एसडीएम सीहोर हृदयेश श्रीवास्तव, अतिरिक्त तहसीलदार प्रियंका चौरसिया और जिला परियोजना समन्वयक (डीपीसी) अशोक पराडकर ने गल्र्स और बॉयज हॉस्टल का औचक निरीक्षण किया था। इस दौरान कई अनियमितताएं मिली थीं। डीपीसी और एपीसी स्वाति प्रियदर्शिनी ने भी छात्राओं के लड़कों के हॉस्टल में भेजे जाने और उनके साथ मारपीट की पुष्टि की है।
 
एसडीएम ने बताया कि निरीक्षण के दौरान छात्राओं की जो संख्या रजिस्टर में दर्ज थी, उसमें से 18 छात्राएं हॉस्टल में नहीं मिलीं। संस्था के सचिव द्वारा बताया गया कि वे अपने घर गई हैं। बाल आयोग ने इन सभी 18 छात्राओं को आयोग में उपस्थित करने के निर्देश दिए हैं।  
 
राज्य शिक्षा केंद्र से मिलता है 12 लाख का अनुदान : आयोग ने निरीक्षण के दौरान पाया कि तेज ठंड में भी छात्राओं को टीनशेड के नीचे एक कंबल में रात गुजारनी पड़ रही है। हॉस्टल के किचन में राशन भी नहीं मिला। छात्राओं के लिए स्कूल यूनीफॉर्म के अलावा ड्रेस का इंतजाम भी नहीं मिला। जबकि, नि:शक्त बच्चों के लिए संस्था को राज्य शिक्षा केंद्र से सालाना 10 से 12 लाख रुपए अनुदान मिलता है।
 
- जो शिकायतें मिली थीं, वह निरीक्षण में सही पाई गई हैं। पूर्व में प्रशासन द्वारा की गई जांच की रिपोर्ट भी हमने मांगी है। छात्राओं का मेडिकल जांच कराने के निर्देश दिए हैं। - उषा चतुर्वेदी, अध्यक्ष बाल अधिकार संरक्षण आयोग, मप्र

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