कांग्रेस के एक सीनियर नेता ने बताया, 'पार्टी ने सोशल मीडिया के असर और राजनीतिक परिणाम पर भी चर्चा की है। फेसबुक और ट्विटर के आ जाने से अब लोगों को मिनटों और घंटों के भीतर इकट्ठा करने के लिए किसी संगठन की जरूरत नहीं है। हालांकि हम इससे चिंतित नहीं है और एक राजनीतिक दल होने के नाते हमें यह समझने की जरूरत है कि इनसे कैसे निपटा जाए।'
गैंग रेप की वारदात के बाद पिछले महीने सत्ता के गलियारों में युवा प्रदर्शनकारियों ने जबरदस्त दस्तक दी। हालांकि इन प्रदर्शनकारियों को एकजुट करने में किसी संगठन का हाथ नहीं था लेकिन इंडिया गेट से लेकर विजय चौक तक पूरे राजपथ पर अचानक प्रदर्शनकारियों के हुजूम ने पुलिस-प्रशासन के साथ सरकार के होश उड़ा दिए थे। पुलिस को भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े और पानी की बौछारें करनी पड़ीं। इसके बाद सरकार की काफी किरकिरी हुई।
उस वक्त पी चिदम्बरम ने कहा था, 'फ्लैश मॉब एक नया तरीका है। कभी कभी लोग नाचने-गाने के लिए जुटते हैं लेकिन कभी ये विरोध-प्रदर्शन के लिए भी इकट्ठा हो सकते हैं। हमें इस पर गौर करना होगा। मेरा मानना है कि हम इससे निपटने के लिए पूरी तरह तैयार नहीं हैं। इससे निपटने के लिए रणनीति बनानी होगी।'
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