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05 जनवरी 2013

सेमटेल के तीन मैनेजर गिरफ्तार, श्रमिकों ने घेरकर बुलाया पुलिस को


 
कोटा. मामला दर्ज करने के बाद भी जब सेमटेल प्रबंधकों को पुलिस गिरफ्तार नहीं कर पाई, तो  सेमटेल श्रमिकों ने शनिवार सुबह उन्हें घेरकर पुलिस को सौंप दिया। श्रमिकों को जानकारी मिली थी कि चंबल टूरिस्ट बंगले में प्रबंधन के कुछ लोग ठहरे हुए हैं। वे अन्य साथियों के साथ सुबह ही पहुंच गए और बोरखेड़ा पुलिस को सूचना दी। पुलिस तीनों प्रबंधकों को यहां से थाने तो ले आई, लेकिन दोपहर 2 बजे तक पूछताछ ही करती रही। जब श्रमिकों का दबाव बढ़ा तो दोपहर बाद तीनों को गिरफ्तार कर लिया।
 
पुलिस अब सेमटेल के मालिक और उसके पुत्र की तलाश के लिए नई दिल्ली भी जाएगी। सेमटेल कर्मचारियों ने इस्तगासे के जरिये मालिक, उसके बेटे तथा मैनेजरों सहित 8 जनों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया था। 17 दिसंबर को इस्तगासा दायर किया गया था।
 
जिसमें, मिलन शर्मा, कृष्णदत्त द्विवेदी सहित अन्य कर्मचारियों ने फैक्ट्री मालिक सतीश कोरा, उसके बेटे पुनीत कोरा, जनरल मैनेजर एसपी शर्मा, डिप्टी मैनेजर शंकर प्रसाद, एचआर मैनेजर अशोक गुप्ता सहित अन्य लोगों के खिलाफ पीएफ, ईएसआई के पैसे तनख्वाह में काटने और सरकारी खातों में जमा नहीं कराने का आरोप लगाया। कर्मचारी कई दिन से इनकी गिरफ्तारी की मांग कर रहे थे। एएसपी लक्ष्मण गौड़ ने बताया अब उनके मालिकों के लिए पुलिस टीम नई दिल्ली भेजी जाएगी।
 
एक दिन पहले दी थी चेतावनी
सेमटेल कर्मचारियों ने शुक्रवार को कलेक्ट्रेट पर परिवार सहित प्रदर्शन किया था। उनका कहना था कि तीन माह से उन्हें वेतन नहीं मिला और उनके भूखे मरने की नौबत आ गई है। इस बारे में पुलिस और प्रशासन कोई सुनवाई कर रहा है। उन्होंने प्रशासन को चेतावनी दी थी कि 24 घंटे में सेमटेल के अधिकारियों व मालिकों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की तो वे रेल रोकने और आत्महत्या जैसे कदम उठाएंगे।
 
वापस ले पद्मश्री पुरस्कार
सेमटेल फैक्ट्री के मालिक सतीश कोरा को कुछ समय पहले भारत सरकार ने औद्योगिक विकास के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया था। सेमटेल बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक क्रांति तिवारी ने मांग की है कि सेमटेल का मामला होने के बाद कोरा का पद्म श्री सम्मान वापस लें। इस बारे में केंद्र सरकार को पत्र लिखा जाएगा।
 
पुलिस नहीं कर रही थी कार्रवाई
बोरखेड़ा पुलिस ने 17 दिसंबर को इस्तगासे के बाद मुकदमा दर्ज किया था। उसके बाद मामला ठंडे बस्ते में पड़ा था। पुलिस ने न तो फैक्ट्री से रिकॉर्ड लिया और न ही मैनेजरों से पूछताछ की कोशिश की। मैनेजर खुले आम घूम रहे थे।

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