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05 जनवरी 2013

मकर संक्रांति 14 को, क्या आप जानते हैं क्यों मनाते हैं ये उत्सव


हिंदू पंचांग के अनुसार पौष मास के शुक्ल पक्ष में मकर संक्रांति (14 जनवरी, सोमवार) का पर्व मनाया जाता है। भारत के विभिन्न हिस्सों में इस पर्व को अलग-अलग तरह से मनाया जाता है लेकिन ये पर्व मनाया क्यों जाता है ये बहुत ही कम लोग जानते हैं। इस पर्व का महत्व इस प्रकार है-
ज्योतिष के अनुसार सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करना ही मकर संक्रांति कहलाता है। इसी दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाता है। शास्त्रों में उत्तारायण की अवधि को देवताओं का दिन तथा दक्षिणायन को देवताओं की रात कहा गया है। इस दिन स्नान, दान, तप, जप, श्राद्ध तथा अनुष्ठान आदि का अत्यधिक महत्व है। कहते हैं कि इस अवसर पर किया गया दान सौ गुना होकर प्राप्त होता है।
इस दिन घी व कंबल के दान का भी विशेष महत्व है। इसका दान करने वाला संपूर्ण भोगों को भोगकर मोक्ष को प्राप्त होता है-
माघे मासि महादेव यो दद्याद् घृतकम्बलम्।
स भुकत्वा सकलान् भोगान् अन्ते मोक्षं च विन्दति।।

मकर संक्रांति के दिन गंगास्नान व गंगातट पर दान की विशेष महिमा है। भारत के अलग-अलग प्रांतों में मकर संक्रांति का पर्व विभिन्न नामों व तरीकों से मनाया जाता है।
भारतीय ज्योतिष के अनुसार मकर संक्रांति के दिन सूर्य के एक राशि से दूसरे राशि में हुए परिवर्तन को अंधकार से प्रकाश की ओर हुआ परिवर्तन माना जाता है। मकर संक्रांति से दिन बढऩे लगता है और रात की अवधि कम होती जाती है। चूंकि सूर्य ही ऊर्जा का सबसे प्रमुख स्त्रोत है इसलिए हिंदू धर्म में मकर संक्रांति मनाने का विशेष महत्व है।

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