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04 जनवरी 2013

दोस्तों कल काल्पनिक नाम कथित दामिनी के साथ हुई ज्यादती के मामले में उसके मित्र ने जो खोफ्नाक कहानी बताई है उसने मानवीय संवेदनाओं की पोल खोल कर रख दी है

दोस्तों कल काल्पनिक नाम कथित दामिनी के साथ हुई ज्यादती के मामले में उसके मित्र ने जो खोफ्नाक कहानी बताई है उसने मानवीय संवेदनाओं की पोल खोल कर रख दी है ...दिल्ली पुलिस ...डोक्टर ..सरकार और आते जाते अमानवीय लोगों की ऐसी घटनाओं के प्रति उपेक्षा ने सभी को झकझोर दिया है लेकिन दिल्ली पुलिस इस पोल खुलने से जी टी वी से नाराज़ होकर उसे फसाने के प्रयासों में जुट गयी है .....शर्मसार कर देने वाली इस घटना के बारे में जब पीडिता के मित्र ने वहशी दरिंदों की कारगुजारियां बतायीं तो रोंगटे खड़े हो गए लेकिन उससे भी ज्यादा शर्म तब आने लगी जब उसने बताया के वोह कपड़ों के लियें तरसते रहे और पुलिस से लेकर अस्पताल तक उन्हें कपड़े नहीं दिए गए इतना ही नहीं कई घंटे तड़पने के बाद उन्हें इलाज मुहय्या हो सका ...पुलिस कई घंटे मामला किस थाने का है इस विवाद में उलझ गयी और पीड़ित तड़पते रहे आते जाते लोगों ने देखा लेकिन किसी ने मदद की कोशिश नहीं की और यही आम आदमी जिसे पीड़ित की तुरंत मदद करना थी अपनी ज़िम्मेदारी से बचता रहा और दुसरे दिन प्रदर्शन के नाम पर भीड़ में नारे लगाता रहा ..यही पुलिस जो मुकदमा उनके इलाके का नहीं कहकर दो घटने तक उलझती रही व्ही पुलिस अब पोल खुलने पर इस सच को पहचान बताना कहकर जी टी वी पर मुकदमा चलाना चाहती है ....डॉक्टरों के बारे में अस्पताल के व्यवहार के बारे में जो कुछ भी बताया गया है उसे भी स्पष्ट है के महिला की मोत इलाज में देरी से हुई है वरना उसे बचाया जा सकता था खेर खुद को जो मंजूर था वोह हुआ लेकिन इस घटना से हमे सीख तो लेना होगी सरकारों को नेताओं को अख़बारों को पुलिस को बताना होगा के क्षेत्राधिकार का मामला बाद में तय होता रहेगा पहले पीड़ित को अस्पताल चिकित्सा तो उपलब्ध कराओ हमे आम जनता को यह बताना होगा के घटना पर बढ़ी प्रतिक्रिया करना अलग बात है लेकिन अपनी ज़िम्मेदारी भी समझे जब किसी पीड़ित को सड़क पर तड़पता देखे तो तुरंत पुलिस को सुचना दे और उसे बिना किसी खोफ के चिकित्सालय इलाज के लियें पहुंचाए हमे पुलिस को भी हिदायत देना होगी के आम आदमी जो इंसानियत दिखाता है उसे गवाह और पूंछ तांछ के नाम पर परेशांन  न किया जाए ..अदालतों को समझाना होगा के गवाह जब अदालत में ब्यान देने जाए तो प्राथमिकता के आधार पर जल्दी उसके बयान रिकोर्ड कर उसे फ्री कर दिया जाए ..अगर कोई गवाह अदालत के बुलावे पर एक बार न जा सके तो उसे गिरफ्तारी वारंट से बुलाने की जगह सम्मान से ही बुलाया जाए वरना कोई गवाह नहीं बनना चाहता और इसे अज़ाब समझने लगता है क्या इस घटना से हम यह सब सीख सकेंगे शायद हाँ ..शायद ना ....या फिर केवल भीड़ की तरह से घटना पर तात्कालिक प्रतिक्रिया देकर अपने घरों में घुस जायेंगे ..अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 

1 टिप्पणी:

  1. इंसान तो ले लेगा सीख मगर ये सत्ताधारी और पुलिस आदि कब लेंगे नही कह सकते

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