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25 जनवरी 2013

ऐसी मिटी हाथों की लकीरें कि ‘आधार’ भी छीन लिया

 

उदयपुर.  कंकूबाई गुमसुम सी अपनी हथेलियों को खोल कर देख रही है। तकदीर ने गरीबी देकर पहले ही उसके साथ खिलवाड़ किया। अब आधारकार्ड से कुछ फायदा मिलने का मौका आया तो इन लकीरों ने फिर धोखा दे दिया।
 
खेत खलिहानों में फसल काटने से लेकर घर का चौका बरतन करते करते उसकी हाथों की रेखाएं ही घिस गई। इस कदर कि उंगली अंगूठे का अक्स भी मशीनों पर नहीं उभरता। लिहाजा सिर्फ कंकूबाई नहीं, ऐसे सैकड़ों खेतिहर मजदूर और आदिवासी हैं जिनका आधारकार्ड इसलिए अटक गया है क्योंकि काम करते करते उनके उंगली अंगूठे घिस गए। अफसरों को भी समझ में नहीं आ रहा कि इस समस्या का हल कैसे निकालें। 
 
सुखेर गांव की कंकूबाई, तीतरड़ी की शांतिबाई और ऐसे ही न जाने कितने जरूरतमंद आधारकार्ड बनवाने में आ रही इस परेशानी से जूझ रहे हैं। उदयपुर राजस्थान के उन तीन शहरों में शामिल है जहां केन्द्र सरकार ने डाइरेक्ट कैश ट्रांसफर स्कीम लागू की है। इस योजना का लाभ गरीबों को तभी मिलेगा जब उनके पास आधारकार्ड होगा।
 
उदयपुर में आधारकार्ड बना रहे वक्रांगी सॉफ्टवेयर कंपनी के प्रतिनिधि कमलेन्द्र सिंह के मुताबिक ग्रामीणों के साथ इस तरह की समस्या रोजाना आ रही है। उसके मुताबिक एक आधारकार्ड पर आमतौर पर दस मिनट लगते हैं। अगर इस तरह के मेहनतकश लोग आते हैं तो उनके फिंगरप्रिंट कांच की मशीन पर अक्सर नहीं उभरते। ऐसे में अक्सर आधा घंटा तक लग जाता है।
 
कुछ मामलों में प्रिंट ही नहीं उभरते। ऐसे लोगों को लौटाना पड़ता है। कई ग्रामीण तो इतनी देरी लगने से उकताकर भी बिना आधारकार्ड के लौट जाते हैं। उदयपुर के आदिवासी इलाकों में काम कर रही आजीविका ब्यूरो की आभा मिश्रा का कहना है कि जब इस तरह की समस्याएं उनकी जानकारी में आई तो वह अचम्भित रह गईं। उन्हें कभी यह अहसास नहीं हुआ कि जरूरत से ज्यादा मेहनत ने गरीबों के हाथों पर ऐसा असर भी डाला है।
 
इसका असर यह है कि उन्हें आधारकार्ड बनवाने में परेशानी आ रही है। गौरतलब है कि आधार कार्ड के लिए फिंगरप्रिंट जरूरी है। वह इसलिए कि किसी भी हालत में दो व्यक्तियों का फिंगरप्रिंट कभी एक जैसा नहीं होता।  
 
विकल्प : सुपरवाइजर की  मौजूदगी जरूरी
 
फिंगर प्रिंट नहीं आने पर पहले आधार कार्ड नहीं बन रहे थे। बाद में ऑपरेटरों में से कुछ को सुपरवाइजर बनाया गया। इस तरह के मामलों में सुपरवाइजर यह पुष्टि करता है कि फिंगरप्रिंट नहीं आ रहा। ऐसे सभी लोगों को एक निश्चित तिथि पर दोबारा बुलाया जाता है और फिर से फिंगरप्रिंट लेने की कोशिश की जाती है। हालांकि एजेंसी से जुड़े लोग मानते हैं कि एक बार लौट जाने वाले कई ग्रामीण दोबारा नहीं आते।
 
फिंगर प्रिंट में लग रहा दुगुना समय
 
.ऑपरेटर द्वारा नाम पते दर्ज करने और फोटो लेने के बाद फिंगर प्रिंट लिए जाते हैं। प्रक्रिया में लगभग 10 मिनट लगते हैं। स्कैनिंग में फिंगर प्रिंट नहीं आने पर मशीन पर दबाव डालकर स्कैन किए जाते हैं। एक बार नहीं होने पर प्रक्रिया को दोहराना पड़ता है। कई बार सिस्टम हेंग हो जाता है। लिहाजा प्रक्रिया में दो से तीन गुना समय लग रहा है। उदयपुर जिले में 26 लाख आधारकार्ड बनाए जाने हैं। अभी तक दस लाख ही बन पाए हैं। कार्ड बनने में हो रही देरी की एक वजह यह भी मानी जा रही है।
 
विशेषज्ञों से राय ली जाएगी-कमिश्नर 
 
संभागीय आयुक्त सुबोध अग्रवाल ने बताया कि उन्हें भी कई जगह इस समस्या के बारे में बताया गया है। उनके मुताबिक यह दिक्कत थोड़ी तकनीकी किस्म की है। लिहाजा इस बारे में विशेषज्ञों से बात करके ही कोई उपाय निकाला जा सकता है। उन्होंने कहा कि वह जल्द ही इस बारे में बातचीत करेंगे।

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