हाल में आई फिल्म ‘मटरू की बिजली का मंडोला’ की हीरोइन मानती है कि उसे मीना कुमारी कॉम्प्लेक्स है। प्रमुख लक्षण है दु:ख और सुख के बीच चुनना हो तो दु:ख को चुनना। खुशी का मौक़ा हाथ से जाने देना। गम से चिपके, सबसे छिप के किस्मत को कोसने का मौक़ा चाहिए। देवदास को था। ममता बनर्जी को है। लोग कहने लगे हैं कम्यूनिस्टों से त्रस्त बंगाल ने इनको चुना, कहीं उन सबको तो नहीं। अगर ऐसा है तो हम सबको है क्योंकि हम अपराधियों, भ्रष्टाचारियों को चुनते हैं जबकि हमारे पास मौका होता है सही को चुनने का।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
20 जनवरी 2013
कॉम्प्लेक्स हैं मीना कुमारी और हमारा मन
हाल में आई फिल्म ‘मटरू की बिजली का मंडोला’ की हीरोइन मानती है कि उसे मीना कुमारी कॉम्प्लेक्स है। प्रमुख लक्षण है दु:ख और सुख के बीच चुनना हो तो दु:ख को चुनना। खुशी का मौक़ा हाथ से जाने देना। गम से चिपके, सबसे छिप के किस्मत को कोसने का मौक़ा चाहिए। देवदास को था। ममता बनर्जी को है। लोग कहने लगे हैं कम्यूनिस्टों से त्रस्त बंगाल ने इनको चुना, कहीं उन सबको तो नहीं। अगर ऐसा है तो हम सबको है क्योंकि हम अपराधियों, भ्रष्टाचारियों को चुनते हैं जबकि हमारे पास मौका होता है सही को चुनने का।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)