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02 जनवरी 2013

ACB के पिंजरे में कैद हुआ 'टाइगर', जिसने भी देखा हैरान रह गया!



जयपुर.थाना प्रभारियों से वसूली करने वाले अजमेर के पुलिस अधीक्षक राजेश मीणा और दलाल रामदेव ठठेरा को एसीबी ने बुधवार देर रात गिरफ्तार कर लिया। एसीबी ने दलाल द्वारा वसूली कर लाए गए दो लाख पांच हजार रुपए एसपी के ड्राइंग रुम से बरामद कर लिए। 
 
दलाल ने पूछताछ में एसपी के लिए वसूली करने की बात कबूल की है। एसपी के सरकारी आवास की तलाशी में तीन लाख रुपए और मिले हैं। बुधवार को रामदेव थाना प्रभारियों से 2.05 लाख रुपए की मासिक वसूली कर एसपी के सरकारी आवास पर देने गया था। 
 
एसीबी के आईजी उमेश मिश्र ने बताया कि देर रात एसपी राजेश मीणा और दलाल रामदेव ठठेरा को अजमेर से लेकर जयपुर के लिए रवाना हो गए हैं। दलाल रामदेव जोधपुर का रहने वाला है और मासिक वसूली के लिए हर माह जोधपुर से अजमेर जाता था। गत दिनों रामदेव को अजमेर के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक लोकेश सोनवाल के साथ भी देखा गया था। जिसके चलते एसीबी ने लेाकेश सोनवाल के सरकारी आवास की भी तलाशी ली।
 
मीणा जयपुर में भी एएसपी रहे हैं
 
राजेश मीणा दो साल पहले आरपीएस से आईपीएस बने हैं। वर्ष 2010 में मीणा जयपुर के साउथ जिले में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रह चुके हैं। जयपुर में तैनातगी के दौरान सिविल लाइंस फाटक के पास हुए पथराव में वे घायल हो गए थे। जिनको एयर एंबुलेंस से दिल्ली ले जाया गया था। जहां सरकारी खर्चे पर इलाज हुआ था।
 
एसीबी को मिली थी शिकायत
 
आईजी मिश्र ने बताया कि इस संबंध में सूचना मिली थी कि जोधपुर के रामदेव ठठेरा अजमेर एसपी राजेश मीणा के लिए थाना प्रभारियों से वसूली करता है और बड़े मामलों के निपटारा करवाने में बिचौलिया बनकर मोटी राशि लेता है। फिर एसपी को देता है।
 
फिर पुलिस अधीक्षक को देता है। एसीबी ने सत्यापन करवाया तो मामला सही निकला। इस पर एसीबी की एक टीम कुछ दिनों से दलाल रामदेव ठठेरा का पीछा करने लगी। बुधवार को पता चला कि दलाल थाना प्रभारियों से वसूली कर रहा है। इस पर जयपुर से एसीबी के डीआईजी गोविंद नारायण पुरोहित, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक हरदयाल सिंह अजमेर पहुंचे। अजमेर में एसीबी ब्यूरो के अतिरिक्तपुलिस अधीक्षक भंवर सिंह नाथावत के साथ टीम ने एसपी के जयपुर रोड सोफिया कॉलेज के पास स्थित सरकारी आवास पर दबिश दी
 
ड्रॉइंग रूम में बैठे थे एसपी-दलाल, रुपए रखे थे मेज पर
 
दबिश के दौरान दलाल रामदेव ठठेरा और एसपी राजेश मीणा ड्रॉइंग रूम में बैठे मिले। दोनों के बीच मेज पर दलाल रामदेव का बैग रखा था। जिसकी तलाशी ली तो उसमें दो लाख पांच हजार रुपए मिले। ये रुपए कहां से लाए इस बारे में एसपी और रामदेव संतुष्ट जवाब नहीं दे पाए। पूछताछ में रामदेव ने कबूला कि वह थाना प्रभारियों से एसपी के लिए वसूली करता था।
 
अफसरों के साथ का फोटो दिखाकर ट्रांसफर-पोस्टिंग कराता था दलाल
 
दलाल रामदेव पुलिस में ट्रांसफर व पोस्टिंग कराने का भी धंधा करता था। वह छोटे पुलिस अफसरों को एक एलबम दिखाता था, जिसमें उसके बड़े अफसरों को गिफ्ट देते हुए फोटो हैं। इस एलबम से वह बड़े अफसरों से अपनी गहरी दोस्ती का प्रदर्शन करता, फिर इंस्पेक्टर स्तर तक के पुलिसकर्मियों से पोस्टिंग और ट्रांसफर कराने के नाम पर पैसा वसूलता था। 
 
आईपीएस अफसर राजेश मीणा से वह डेढ़ साल से संपर्क में था। मीणा 2011 में जब पांच माह तक जोधपुर डीसीपी रहे तब से उसके ताल्लुक हैं। रामदेव अजमेर के एएसपी लोकेश सोनवाल के भी बेहद करीब है। सोनवाल छह साल पहले जोधपुर में सीओ सेंट्रल थे। रामदेव इसी इलाके में रहता है, इसलिए सोलनवाल से भी उसके अच्छे संबंध हो गए थे। 
 
भीतरी शहर के कटला बाजार में रहने वाला रामदेव रेलवे में नौकरी करता था। उसके बाद वह हैंडीक्राफ्ट और चांदी के आइटम का कारोबार करने लगा। आइटम भेंट करने के बहाने अफसरों से दोस्ती करता था, फिर ट्रांसफर, पोस्टिंग व मुकदमों में कार्रवाई कराने दावा कर लोगों को जाल में फंसाता था।
 
एसीबी कार्रवाई का विरोध करते दर्जनभर हिरासत में
 
एसीबी की कार्रवाई के विरोध में देर रात मीणा युवकों ने एसपी के सरकारी आवास में जबरन घुसने की कोशिश की। युवकों का कहना था कि राजेश मीणा को षड़यंत्र पूर्वक फंसाया गया है। उन्होंने एसीबी हाय हाय के नारे भी लगाए। हालात नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने एक दर्जन से अधिक युवाओं को हिरासत में ले लिया है। सांसद किरोड़ी लाल मीणा के भी यहां पहुंचने की खबर थी। इसके मद्देनजर एसपी आवास के बाहर भारी पुलिसबल तैनात किया गया।हालात बिगड़ते देख अतिरिक्त कलेक्टर शहर जेके पुरोहित भी मौके पर पहुंचे।
 
मनचाही पोस्टिंग लेनदेन से ही : पूर्व एडीजी
 
पीएन रछोया, पूर्व एडीजी
 
किसी आईपीएस के ड्राइंगरूम में अनजान या आम आदमी के जाकर बैठने का तो सवाल ही नहीं उठता। यह घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। प्रदेश में पुलिस की छवि और स्थिति ठीक नहीं है। सिपाही से लेकर आईपीएस तक की पोस्टिंग जातिवाद, राजनीतिक पहुंच और भ्रष्टाचार के आधार पर हो रही है। राज्य सरकार को चाहिए कि पोस्टिंग के समय पदक, उत्कृष्ट सेवा मेडल, रिवार्ड और एसीआर रिकॉर्ड देखा जाए।
 
छवि देखी जाए। आज साफ सुथरी छवि वाले, मेडल विजेता, बेस्ट एसीआर वाले और ईमानदार काबिल अधिकारी पुलिस लाइन में बड़ी तादाद में मिल जाएंगे। जोड़-तोड़ और लेन-देन में माहिर लोगों को ही मनचाही पोस्टिंग मिलती है। योग्यता के आधार पर पोस्टिंग होगी तो ऐसे मामले सामने नहीं आएंगे। 
 
(जैसा कि उन्होंने श्रवण सिंह राठौड़ को बताया ) 
 
 
15 महीने, 800 ट्रांसफर
 
एसपी मीना ने अपने कार्यकाल के दौरान जिले भर में 800 पुलिसकर्मियों के ट्रांसफर किए। इनमें से 300 के तबादले कुछ दिन बाद ही निरस्त कर दिए गए। फिर 400 ट्रांसफर और निरस्त किए। इस तरह एसपी ने अपने अधीनस्थों के तबादले कर रौब गांठा। 
 
पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक मीना ने नियमों को ताक में रखकर बैक डेट में कई ट्रांसफर किए। कई पुलिसकर्मियों के इन्क्रीमेंट रोक दिए। कई की एसीआर में प्रतिकूल टिप्पणियां की। मीना द्वारा लगातार इस तरह की जा रही कार्रवाइयों से कई पुलिस अधिकारी और पुलिसकर्मियों में रोष व्याप्त था, जो एसीबी की कार्रवाई के बाद सामने आ गया।
 
क्यों भेजा टॉडगढ़ में पुलिस कमांडो! 
 
एसपी की मनमानी का आलम यह था कि 9 माह पहले उसने पुलिस कमांडो दयानंद को टॉडगढ़ थाने में तैनात कर दिया। जबकि नियमानुसार पुलिस कमांडो को लाइन में ही रखा जाता था। यह भी सामने आया कि एसपी ने एक ही पुलिसकर्मी के तीन-तीन बार ट्रांसफर भी किए। इससे पूरे महकमे में असंतोष था।
 
एसपी आफिस बनाना है, पैसा चाहिए : 
 
हाल ही में जूनियर एडमिनिस्ट्रेटिव ग्रेड (जेएजी) पर प्रमोट हुए घूसखोर मीना ने जिलेभर के थाना प्रभारियों को यह कहकर पैसा बटोरना शुरू किया था कि पुलिस लाइन में नया एसपी ऑफिस बनाना है। इसके लिए मोटी रकम चाहिए। सूत्रों के मुताबिक मीना ने थानेदारों से इस बाबत लाखों रुपए की मांग की थी।
 
एसीबी के डीआईजी पुरोहित ने बताया कि तलाशी के दौरान मीना के सरकारी आवास से पर्चियां बरामद हुई हैं जिनमें लेन-देन का हिसाब इंद्राज है। जांच के बाद कई खुलासे होंगे।
 
गुरु-चेले दोनों रिश्वतखोर
 
एसपी मीना जब जोधपुर डीसीपी के पद पर थे, तब आईपीएस डॉ. अजयसिंह वहां प्रोबेशनर थे। मीना के मार्गदर्शन में अजयसिंह ने पुलिसिंग सीखी। शर्मनाक बात यह है कि पहले अजयसिंह फिर राजेश मीना एसीबी के शिकंजे में फंसे। अजयसिंह एएसआई प्रेमसिंह के मार्फत तो मीना दलाल के माध्यम से वसूली करने लगे।
 
पांच गिरफ्तार 
 
'एसपी आवास के बाहर से शांतिभंग करने के आरोप में पांच युवकों को गिरफ्तार किया गया। कानून व शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए एहतियातन मौके पर पुलिस बल तैनात किया गया।’
 
अनिल पालीवाल
आईजी (अजमेर रेंज)
 
 
 
उतर गए चेहरे पुलिस अधिकारियों के 
 
एसपी राजेश मीना की गिरफ्तारी के बाद पुलिस अधिकारियों के चेहरे उतर गए। टाइगर को एसीबी की गिरफ्त में देख वे मीडिया से आंख बचाते नजर आए। जहां दोपहर तक अधिकारी यह कहते नहीं थक रहे थे कि एसपी ईमानदार हैं और उन्हें षडयंत्र के तहत फंसाया जा रहा है। देर रात डीआईजी एसीबी गोविंद नारायण पुरोहित ने जब मीडिया के सामने पूरे प्रकरण का खुलासा किया तब स्थानीय अधिकारियों के चेहरे  देखने लायक थे।
 
छावनी बना दिया एसपी के घर को
 
अतिरिक्त कलेक्टर (शहर) जेके पुरोहित रात करीब 9 बजे एसपी मीना के निवास पहुंचे। मीना के घर के बाहर पुलिस छावनी बना दी गई। सभी थाना प्रभारियों को मौके पर बुला लिया गया। एसीबी कार्रवाई लंबी चलती देख नगर निगम की ओर से मीना के घर के बाहर बेरीकेड्स लगाने के लिए टेंट की बल्लियां मंगवा ली थी। बाहरी लोगों को मौके से खदेड़ दिया गया।
 
भारी सुरक्षा के बीच ले गए जयपुर
 
गिरफ्तारी के बाद राजेश मीणा को भारी सुरक्षा के बीच जयपुर के लिए रवाना किया गया। जयपुर ले जाने से पहले उच्च अधिकारियों को सूचना दी गई। पुलिस के पांच वाहनों के बीच उनके वाहन को रखा गया था। पुलिस अधिकारी घटना पर नजर रखे हुए थे।
 
यूं करती है पुलिस वसूली!
 
थानावार पुलिस की वसूली का तरीका भी अलग-अलग है। शहर के 9 थानों को मिलाकर जिलेभर के सभी थानों में कहीं वसूली की यह राशि टी-स्टॉल पर जमा हो रही है तो कहीं परचून की दुकान पर। पुलिस के लिए यह राशि वसूलने वालों का रुतबा भी पुलिस से कम नहीं। रेडी लगाने वाले, सवारी टेंपो चलाने वाले, सिटी बस वाले, होटल-रेस्त्रां, देर रात तक दुकान खोलने वाले सहित कई ऐसे लोग पुलिस के डर के कारण वसूली का हिस्सा बने हुए हैं। ऐसे में लोग आखिर अपनी शिकायत किसे दर्ज कराएं। 

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