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24 जनवरी 2013

मुंबई हमले के साजिशकर्ता पर अमेरिकी कोर्ट का फैसला, हेडली को 35 साल की जेल


शिकागो.  26/11 के मुंबई आतंकी हमले की साजिश में शामिल रहे डेविड कोलमैन हेडली को शिकागो की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने 35 साल जेल की सजा सुनाई है। अमेरिकी सरकार ने  हेडली के लिए इतनी ही सजा की मांग की थी। जांच में सहयोग के चलते वह उम्रकैद और  मौत की सजा से बच गया। 
 
हेडली को मुंबई हमले की साजिश के अलावा डेनमार्क के अखबार पर हमले की साजिश रचने के लिए भी सजा सुनाई गई है। सजा सुनाते समय कोर्ट परिसर खचाखच भरा था। इसलिए कार्यवाही देरी से शुरू हुई।
 
ऐसे बचा मौत की सजा से
 
हेडली ने मौत की सजा से बचने के लिए याचिका दायर की थी। इसमें उसने तर्क दिया था कि उसने पूछताछ में अधिकारियों का सहयोग किया और मामले से जुड़ी कई अहम जानकारियां दीं। मौत की सजा न मिलने पर कोर्ट में मौजूद लोगों को भी हैरानी हुई। सुनवाई के दौरान हेडली ने 12 आरोप कबूले हैं। 
 
पीड़ित बोले, जीने का हक नहीं 
 
मुंबई आतंकी हमले के पीड़ितों ने कहा कि हेडली को जीने का कोई अधिकार नहीं है। इनमें ज्यादातर उन अमेरिकी लोगों के परिजन थे जिनकी मौत मुंबई हमले में हुई थी। अदालत में हेडली को सजा सुनाए जाते वक्त मौजूद रहीं एक पीड़ित शैर ने कहा, ‘हेडली को भी वह दर्द भोगना चाहिए जो हम भोग रहे हैं। हेडली को सिर्फ 35 साल की जेल है तो हमारा गुस्सा शांत होना मुश्किल है।’ उनके पति और बेटी की मौत मुंबई हमले में हुई थी। हमले में 166 लोग मारे गए थे। इनमें अमेरिका सहित 10 देशों के करीब 28 नागरिक भी थे।
 
देश के गुनहगार पर ये हैं आरोप
मुंबई के वीडियो व अन्य खुफिया सूचनाएं आतंकियों को दीं। इन्हीं जगहों पर हमले हुए।
 आतंकियों को मुंबई पहुंचने का ऐसा समुद्री रास्ता बताया जिससे पकड़ न हो सके। 
 आतंकियों को समर्थन उपलब्ध करवाया, इससे हमला हुआ और कई लोग मारे गए।
 मुंबई के ताज होटल को इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि वहां सेना के अफसर और बड़े वैज्ञानिक मीटिंग करते हैं। 
 2002 से 2005 के बीच हेडली ने लश्कर के पांच ट्रेनिंग शिविरों में ट्रेनिंग ली। इनमें उसे जेहाद छेड़ने के उद्देश्य और युद्ध कौशल सिखाए गए।
 लश्कर ने तय किया, हेडली जासूसी का काम बेहतरी से कर सकता है। उसका नाम बदला गया, राणा दोस्त के रूप में मुंबई भेजा।
 हेडली मुंबई में 2006 से 2008 तक पहचान छिपा कर रहा।
 मुंबई पर आतंकी हमले से पहले लश्कर ने उसे डेनमार्क जाकर उसी तरह की जासूसी करने के निर्देश दिए।
 नवंबर 2008 में मुंबई में क्या हुआ यह देखने के बाद हेडली जनवरी 2009 में डेनमार्क गया।
 डेनमार्क में उसने अखबार तक पहुंच बनाने के लिए मुंबई वाला तरीका ही अपनाया।
 
जज भी हैरान, बोले- यह सजा उचित नहीं 
‘उसने अपराध किया, इसमें सहयोग किया और इस सहयोग के लिए उसे ईनाम दिया गया। मैं चाहे जो भी फैसला सुनाऊं इससे आतंकवादी नहीं रुकेंगे। दुर्भाग्य की बात है कि आतंकवादी इसकी परवाह नहीं करते। मुझे हेडली की इस बात पर भरोसा नहीं होता जब यह कहता है कि वह अब बदल गया है। हेडली से जनता को बचाना और वह किसी दूसरी आंतकवादी कार्रवाई में शामिल न हो, यह सुनिश्चित करना मेरी जिम्मदारी है। उसे 35 साल जेल की सिफारिश उचित सजा नहीं है। सरकार ने इतनी ही सिफारिश की है। इसलिए मैं इस प्रस्ताव को स्वीकार करूंगा। 
 
-हैरी डी लिनेनवेबर, जज, डिस्ट्रिक्ट कोर्ट, शिकागो

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