धर्म परंपराओं में शनिवार को भी पितृदोष या ग्रहदोष से मिले दु:खों के अंधकार का शनि भक्ति, दान-पुण्य व पूजा-उपासना के जरिए शमन का विधान है। यानी यह बुरे कर्मों से मिले कष्ट-पीड़ा रूपी अंधेरों से अच्छे कर्म द्वारा बाहर निकलने की शुभ दिन है।
खासतौर पर शनि दोष से आने वाली विपत्ति और संकट से बचने के लिए शनि के 10 आसान नाम मंत्रों का स्मरण और शनि संबंधित वस्तुओं के दान का महत्व बताया गया है। इससे शनि की दशा जैसे साढ़े साती आदि में बुरे प्रभावों से रक्षा होती है
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यथासंभव सूर्योदय के पहले जागकर नदी या तीर्थ के पवित्र जल से स्नान कर
किसी पीपल के वृक्ष नीचे स्थान पवित्र कर यथासंभव शनि की प्रतिमा विराजित
कर पंचामृत व जलस्नान कराएं।
- तेल, काले गंध, काले अक्षत, काले फूल व तेल से बने पकवान जैसे पूरी, इमरती का भोग लगाएं और नीचे लिखे इन 10 शनि मंत्रों को स्मरण करें -
ॐ कोणस्थाय नम:
ॐ रौद्रात्त्मकाय नम:
ॐ शनैश्चराय नम:
ॐ यमाय नम:
ॐ ब्रभवे नम:
ॐ कृष्णाय नम:
ॐ मंदाय नम:
ॐ पिप्पलाय नम:
ॐ पिंगलाय नम:
ॐ सौरये नम:
- सुख-समृद्धि की कामना के साथ मंत्र स्मरण के बाद शनि की धूप, दीप आरती कर शनि से संबंधित वस्तुओं जैसे नीले वस्त्र, तेल, गुड़, काली उड़द, लोहा आदि का दान करें।
- तेल, काले गंध, काले अक्षत, काले फूल व तेल से बने पकवान जैसे पूरी, इमरती का भोग लगाएं और नीचे लिखे इन 10 शनि मंत्रों को स्मरण करें -
ॐ कोणस्थाय नम:
ॐ रौद्रात्त्मकाय नम:
ॐ शनैश्चराय नम:
ॐ यमाय नम:
ॐ ब्रभवे नम:
ॐ कृष्णाय नम:
ॐ मंदाय नम:
ॐ पिप्पलाय नम:
ॐ पिंगलाय नम:
ॐ सौरये नम:
- सुख-समृद्धि की कामना के साथ मंत्र स्मरण के बाद शनि की धूप, दीप आरती कर शनि से संबंधित वस्तुओं जैसे नीले वस्त्र, तेल, गुड़, काली उड़द, लोहा आदि का दान करें।
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