कोटा. दो कक्षाएं..एक कमरा.. और एक ही टीचर..। कोटा के नयापुरा
स्थित रा. बा. उ. प्राथमिक विद्यालय कायन हाउस सैकंड पारी में कक्षा एक से
पांच तक 140 बच्चे हैं। लेकिन, टीचर केवल चार हैं। इनमें से भी एक शारीरिक
टीचर है।
बचे 3 टीचर। स्कूल के पास कमरे भी पर्याप्त हैं, लेकिन टीचर कम होने के
कारण एक ही क्लासरूम में पहली व दूसरी कक्षा के बच्चे पढ़ाई करते हैं।
दोनों कक्षाओं को अलग करने के लिए इन्हें विपरीत दिशाओं में मुंह करके
बैठाया जाता है।
टीचर पहले एक कक्षा को पढ़ाती है और उनको काम देकर दूसरी कक्षा को पढ़ाती
है। वहीं शहर में ऐसे भी कई स्कूल हैं, जहां आनुपातिक रूप से ज्यादा टीचर
हैं।
कोटा. आम अवधारणा है मदरसों में केवल मुस्लिम बच्चों को उर्दू तालीम
दी जाती है, लेकिन कोटा के एक गांव में हिन्दू बच्चे भी मदरसों में पढ़
रहे हैं। गांव में एक प्राइमरी, एक मिडिल और एक सैकंडरी स्कूल भी है, लेकिन
ग्रामीणों ने यह पहल सामाजिक सद्भाव को बढ़ाने के लिए की है। मदरसे में
पढ़ रहे 48 में से 13 बच्चे हिन्दू परिवारों के हैं।
ईद और दीपावली के अलावा सभी तीज-त्योहारों को गांव के हिन्दू-मुस्लिम साथ
मिलकर मनाते हैं। 9 साल की कर्मा और उसकी 11 साल की किस्मत लुहावद (इटावा)
गांव के मदरसे में पढ़ रही हैं। वे हिन्दू और गणित के साथ उर्दू लिखने व
बोलने भी लगी हैं। मदरसे में 48 में से 13 ऐसे हिंदू बच्चे हैं, जो रोज घर
से पूजा कर मदरसे में आते हैं। बच्चों की इस लगन से गांव के लोग भी कौमी
एकता का पाठ सीख रहे हैं।
गांव में ईद और दीवाली साथ-साथ मिलकर मनाई जाती है। मदरसा अंजुमन इस्लामिया
में हिंदू और मुस्लिम बच्चे एक साथ बैठकर अ आ इ ई के साथ अली बे ते
(सिपारा) भी पढ़ रहे हैं। मदरसा पिछले दस से साल चल रहा है। अभिभावकों का
मानना है कि बच्चों को धर्म से ज्यादा इंसानियत का पाठ पढ़ाया जा रहा है।
किस्मत, कर्मा के अलावा रोशन, नारायण, निकिता, मनीषा, रोहित महावर, किरण
सहित 13 बच्चे हैं, जो अलग-अलग कक्षाओं में पढ़ रहे हैं।
ईद व दीवाली साथ-साथ मनाते हैं: गांव के सरपंच रफीक पठान बताते हैं
कि तीन साल पहले सरपंच बनते ही उन्होंने भी मिसाल को कायम रखने के लिए
प्रयास शुरू कर दिए। अब मदरसे में हिन्दू बच्चे की संख्या बढ़ गई है। उनका
कहना है कि मदरसे का ही असर है कि गांव में ईद व दीवाली सहित अन्य सभी
तीज-त्यौहार हिन्दू-मुस्लिम साथ-साथ मनाते हैं। इस मदरसे को आदर्श बनाने के
लिए भी वे इसे व्यापक बनाना चाहते हैं।
घर पर भी पढ़ते हैं उर्दू : तीन बेटियां किस्मत, कर्मा और मंशापूर्ण
के पिता बाबूलाल बैरवा बताते हैं कि उनकी बेटियां घर पर भी उर्दू पढ़ती
हैं। इनके माता-पिता बताते हैं कि उर्दू का ज्ञान लेना भी बच्चों के लिए
अच्छा है। एक दूसरे की संस्कृति का पता चलता है।
हिन्दू धर्मग्रंथों महादेव यानी भगवान शिव को अनादि, अनंत,
अजन्मा माना गया है यानी उनका कोई आरंभ है न अंत है, न उनका जन्म हुआ है, न
वह मृत्यु को प्राप्त होते हैं। इस तरह भगवान शिव अवतार न होकर साक्षात
ईश्वर हैं। शिव को मृत्युलोक का देवता भी माना गया है।
शिव की साकार
यानी मूर्ति रूप और निराकार यानी अमूर्त रूप में आराधना की जाती है।
शास्त्रों में भगवान शिव का चरित्र कल्याणकारी माना गया है। उनके दिव्य
चरित्र और गुणों के कारण भगवान शिव के कई रूप व अवतार पूजनीय हैं।
शिव
के इन रूपों से जुड़े धर्मशास्त्रों में कई नाम बताए गए हैं। धार्मिक
आस्था से इन शिव नामों का केवल ध्यान ही बड़ा शुभ माना गया है। खासतौर पर
शिव भक्ति के खास दिनों में शिव इन नामों को बोलनेभर या स्मरण से सभी दु:ख
और परेशानियां दूर होती है और भरपूर सुख-सौभाग्य बरसता है।
8
अक्टूबर को शिव भक्ति के विशेष दिन सोमवार व शुभ तिथि अष्टमी का दुर्लभ योग
है। साथ ही श्राद्धपक्ष भी जारी है। ऐसे संयोग में शिव के यहां बताए जा
रहे 108 स्वरूप का नाम स्मरण पितृदोष भी दूर कर भाग्य को संवारने वाला माना
गया है, जो तमाम खुशहाली देने वाला साबित होता है। यहां जानिए कौन से शिव
के इन 108 रूपों के नाम और उनका मतलब -
शिव - कल्याण स्वरूप
महेश्वर - माया के अधीश्वर
शम्भू - आनंद स्वरूप वाले
पिनाकी - पिनाक धनुष धारण करने वाले
शशिशेखर - सिर पर चंद्रमा धारण करने वाले
वामदेव - अत्यंत सुंदर स्वरूप वाले
विरूपाक्ष - भौंडी आँख वाले
कपर्दी - जटाजूट धारण करने वाले
नीललोहित - नीले और लाल रंग वाले
शंकर - सबका कल्याण करने वाले
शूलपाणी - हाथ में त्रिशूल धारण करने वाले
खटवांगी - खटिया का एक पाया रखने वाले
विष्णुवल्लभ - भगवान विष्णु के अतिप्रेमी
शिपिविष्ट - सितुहा में प्रवेश करने वाले
अंबिकानाथ - भगवति के पति
श्रीकण्ठ - सुंदर कण्ठ वाले
भक्तवत्सल - भक्तों को अत्यंत स्नेह करने वाले
भव - संसार के रूप में प्रकट होने वाले
शर्व - कष्टों को नष्ट करने वाले
त्रिलोकेश - तीनों लोकों के स्वामी
शितिकण्ठ - सफेद कण्ठ वाले
शिवाप्रिय - पार्वती के प्रिय
उग्र - अत्यंत उग्र रूप वाले
कपाली - कपाल धारण करने वाले
कामारी - कामदेव के शत्रुअंधकार
सुरसूदन - अंधक दैत्य को मारने वाले
गंगाधर - गंगा जी को धारण करने वाले
ललाटाक्ष - ललाट में आँख वाले
कालकाल - काल के भी काल
कृपानिधि - करूणा की खान
भीम - भयंकर रूप वाले
परशुहस्त - हाथ में फरसा धारण करने वाले
मृगपाणी - हाथ में हिरण धारण करने वाले
जटाधर - जटा रखने वाले
कैलाशवासी - कैलाश के निवासी
कवची - कवच धारण करने वाले
कठोर - अत्यन्त मजबूत देह वाले
त्रिपुरांतक - त्रिपुरासुर को मारने वाले
वृषांक - बैल के चिह्न वाली झंडा वाले
वृषभारूढ़ - बैल की सवारी वाले
भस्मोद्धूलितविग्रह - सारे शरीर में भस्म लगाने वाले
सामप्रिय - सामगान से प्रेम करने वाले
स्वरमयी - सातों स्वरों में निवास करने वाले
त्रयीमूर्ति - वेदरूपी विग्रह करने वाले
अनीश्वर - जिसका और कोई मालिक नहीं है
सर्वज्ञ - सब कुछ जानने वाले
परमात्मा - सबका अपना आपा
सोमसूर्याग्निलोचन - चंद्र, सूर्य और अग्निरूपी आँख वाले
हवि - आहूति रूपी द्रव्य वाले
यज्ञमय - यज्ञस्वरूप वाले
सोम - उमा के सहित रूप वाले
पंचवक्त्र - पांच मुख वाले
सदाशिव - नित्य कल्याण रूप वाल
विश्वेश्वर - सारे विश्व के ईश्वर
वीरभद्र - बहादुर होते हुए भी शांत रूप वाले
गणनाथ - गणों के स्वामी
प्रजापति - प्रजाओं का पालन करने वाले
हिरण्यरेता - स्वर्ण तेज वाले
दुर्धुर्ष - किसी से नहीं दबने वाले
गिरीश - पहाड़ों के मालिक
गिरिश - कैलाश पर्वत पर सोने वाले
अनघ - पापरहित
भुजंगभूषण - साँप के आभूषण वाले
भर्ग - पापों को भूंज देने वाले
गिरिधन्वा - मेरू पर्वत को धनुष बनाने वाले
गिरिप्रिय - पर्वत प्रेमी
कृत्तिवासा - गजचर्म पहनने वाले
पुराराति - पुरों का नाश करने वाले
भगवान् - सर्वसमर्थ षड्ऐश्वर्य संपन्न
प्रमथाधिप - प्रमथगणों के अधिपति
मृत्युंजय - मृत्यु को जीतने वाले
सूक्ष्मतनु - सूक्ष्म शरीर वाले
जगद्व्यापी - जगत् में व्याप्त होकर रहने वाले
जगद्गुरू - जगत् के गुरू
व्योमकेश - आकाश रूपी बाल वाले
महासेनजनक - कार्तिकेय के पिता
चारुविक्रम - सुन्दर पराक्रम वाले
रूद्र - भक्तों के दुख देखकर रोने वाले
भूतपति - भूतप्रेत या पंचभूतों के स्वामी
स्थाणु - स्पंदन रहित कूटस्थ रूप वाले
अहिर्बुध्न्य - कुण्डलिनी को धारण करने वाले
दिगम्बर - नग्न, आकाशरूपी वस्त्र वाले
अष्टमूर्ति - आठ रूप वाले
अनेकात्मा - अनेक रूप धारण करने वाले
सात्त्विक - सत्व गुण वाले
शुद्धविग्रह - शुद्धमूर्ति वाले
शाश्वत - नित्य रहने वाले
खण्डपरशु - टूटा हुआ फरसा धारण करने वाले
अज - जन्म रहित
पाशविमोचन - बंधन से छुड़ाने वाले
मृड - सुखस्वरूप वाले
पशुपति - पशुओं के मालिक
देव - स्वयं प्रकाश रूप
महादेव - देवों के भी देव
अव्यय - खर्च होने पर भी न घटने वाले
हरि - विष्णुस्वरूप
पूषदन्तभित् - पूषा के दांत उखाड़ने वाले
अव्यग्र - कभी भी व्यथित न होने वाले
दक्षाध्वरहर - दक्ष के यज्ञ को नष्ट करने वाल
हर - पापों व तापों को हरने वाले
भगनेत्रभिद् - भग देवता की आंख फोड़ने वाले
अव्यक्त - इंद्रियों के सामने प्रकट न होने वाले
सहस्राक्ष - अनंत आँख वाले
सहस्रपाद - अनंत पैर वाले
अपवर्गप्रद - कैवल्य मोक्ष देने वाले
अनंत - देशकालवस्तुरूपी परिछेद से रहित
तारक - सबको तारने वाला
परमेश्वर - सबसे परे ईश्वर