इनमें एक जेठाभाई अहीर भाजपा के टिकट पर चुनाव जीत गए जबकि बसपा उम्मीदवार प्रफुल्ला चंद्रा को हार मिली। दोनों एक ही विधानसभा क्षेत्र सेहरा से किस्मत आजमा रहे थे।
कहानी यहीं नहीं रुकती। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉम्र्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक पूरे देश में कमोबेश सभी राजनीतिक दल ऐसे आरोपियों को टिकट देते हैं जिन पर गंभीर आपराधिक मामले चल रहे हैं।
यूपी में सपा सरकार के ठीक पहले बसपा की सरकार में कई विधायकों पर रेप के आरोप लगे। मामले अभी भी चल रहे हैं।
हालांकि दिल्ली में गैंगरेप की घटना के बाद अब कांग्रेस ने हिमायत की है कि जिन पर रेप जैसे संगीन अपराधों के आरोप हैं उन्हें चुनाव लडऩे से रोकना चाहिए।
कांग्रेस संासद व प्रवक्ता रेणुका चौधरी ने कहा कि चुनाव आयोग को देखना चाहिए कि जिन पर ऐसे आरोप हैं वे लोग चुनाव नहीं लड़ पाएं।
जब ऐसा राजा होगा तो प्रजा का यही हश्र होना है।
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