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08 दिसंबर 2012

क्योंकि सभी धर्म मानवता का पैगाम देते है और मानवधर्म ही सभी धर्मों की आत्मा है

 एक इसाई पिता और यहूदी माँ से जन्मी रासा सेरा नामक एक महिला ने सभी धर्मों को पढने के बाद इस्लाम धर्म को सबसे अच्छा  धर्म मानकर इस्लाम स्वीकार किया अथा और मुस्लमान बन गयी थीं ..पन्द्राह सालों तक मुसलमान रहने के बाद इस महिला ने अपने जो अनुभव के आधार पर अत्र्रात्मा की आवाज़ से लोगों में पैगाम  है वोह है के अगर उसे पता होता के मुसलमान ऐसे होते है जो इस्लाम से अलग थलग अपने नियमों के तहत गेर इस्लामिक तरीके से चलते है तो वोह कभी इस्लाम धर्म कुबूल नहीं करती ..कहने को तो यह एक छोटी सी बात है लेकिन विश्व के आम मुसलमानों के लियें यह एक प्रश्न चिन्ह है उनके लियें गिरेहबान में झाँक कर देखने की बात है और फिर से इस्लाम की तरफ लोटने की चेतावनी है आज इस्लाम और उसके सिद्धांत निति नियम तो अपनी जगह है जिसे कोई बदल नहीं सकता लेकिन कथित रूप से इस धर्म को मानने वाले शरियत और कुरान के कानून से अलग हठ कर अपने निजी स्वार्थों के लियें जीने लगे है उन्हें ना तहजीब की चिंता है न पड़ोसी की भूख उसकी तकलीफ की फ़िक्र है बस अपने समाज अपने सो कोल्ड कानून बना लियें है और अपनी मर्जी से खुद को जाती समाज में बाँट लिया है हालात यह है के जो दीन जानते है वोह तो सियासत में है और जो दुनियादारी जानते है वोह दीनदारी की बाते कर रहे है कुल मिलाकर इस्लाम उसके आदेश निर्देश की पालना करने वालों की कमी है और लोग जो नाम से मुसलमान बनाने वाले व्यक्ति को देखते है तो उनकी निगाह में आज के मुसलमानों के आचरण को देख कर इस्लाम से नफरत का भाव पैदा होता है लेकिन जो लोग इस्लाम को पढ़ कर समझ कर दीन में शामिल हुए है मुसलमान बने है अगर वोह मुसलमान को देखते है तो वोह इस्लाम से तो प्यार करते है लेकिन कथित मुसलमानों से नफरत करते है कमोबेश यह बात सभी धर्म के मानने वालों में है और सभी लोग अपने अपने धर्म के सिद्धांतों नियमों को भूल चुके है चाहे हिन्दू हो चाहे मुसलमान चे इसाई हो या कोई और धर्म सभी लोग अपने धर्म ग्रंथों के  निर्देश को भूल गए है निजी स्वार्थों में शामिल होकर यह लोग आना धर्म भूल गए हैं धर्म के सिद्धांत भूल गए है आज सभी धर्म के लोगों ने सो कोल्ड ऐसे समाज ऐसे नियम बना लिए है जिन्हें कथित धार्मिक सिद्धांतों के नाम पर इस्तेमाल किया जाता है जबकि ऐसी कोई बात धार्मिक किताबों में नहीं लिखा है ..दोस्तों बात धर्म और इस्लाम और इस्लाम के मानने वालों से शुरू हुई थी यकीन मानिये कुरान और हदीस में लिखे पैगाम को हम पचास फिसदी भी पालन कर ले तो  दुनिया स्वर्ग और मुसलमान मानवता।।भाईचारा ..सद्भावना इस्लिंसाफ की मिसाल बन जाएगा दोस्तों हिन्दू भी अपने धर्मों पर चले सिद्धांतों पर चले तो कमोबेश इंसानियत ..मानवता भाईचारा और सद्भावना का यही पैगाम देखने को मिलेगा हो सकता है कई लोग मेरी बात से सहमत न हो लेकिन अगर धर्म  हो तो उसके सिधान्तों को पूरी तरह से मानो केवल अपने फायदे नफरत और दंगे फसादात के लियें धर्म का गलत इस्तेमाल मत करो क्योंकि सभी धर्म मानवता का पैगाम देते है और मानवधर्म ही सभी धर्मों की आत्मा है .....अख्तर खान अकेला कोटा  राजस्थान

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