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05 दिसंबर 2012

क्या आप जानते हैं जयपुर का नाम कैसे पड़ा गुलाबी नगरी



जयपुर। दैनिक भास्कर डॉट कॉम आज आपके लिए लाए हैं एक ऐसी स्टोरी। जो न सिर्फ जयपुर का इतिहास बयां कर रही है। बल्कि पूरी रियासत की हकीकत से आपको वाकिफ कराएगा और बताएगा कैसे जयपुर शहर बना पिंक सिटी। आज दुनिया भर में कुछ ही शहर है जो रंग के नाम से जाने जाते हैं। इन्हीं में से एक है गुलाबी नगर। कहानी की शुरुआत जयपुर का जन्म से करते है। इतिहासकारों के अनुसार नगर की नींव1727 में रखी गई। ये महाराजा सवाई जयसिंह का दौर था। नगर बसने से पहले जयपुर (ढूंढाड़) राज्य की राजधानी थी। प्राचीनकाल में यह अम्बावती एवं अंबिकापुर के नाम से जाना जाता था।

यह शहर शुरू से ही 'गुलाबी' नगर नहीं था बल्कि अन्य सामान्य नगरों की ही तरह था। लेकिन 1853 में जब वेल्स के राजकुमार आए तो महाराजा रामसिंह के आदेश से पूरे शहर को गुलाबी रंग से रंग जादुई आकर्षण प्रदान करने की कोशिश की गई थी। इसी के बाद से यह शहर 'गुलाबी नगरीÓ के नाम से प्रसिद्ध हो गया। हालांकि इससे पहले जयपुर सफेद और पीले रंग का हुआ करता था। ऐसा कहा जाता है कि रामसिंह के शासन काल के दौरान जयपुर प्रगतिशील रियासतों में रहा। जल प्रदाय व्यवस्था, गैस की रोशनी, पक्की सड़कें, मेयो अस्पताल, रामनिवास जैसा विशाल सार्वजनिक उद्यान, रामप्रकाश थियेटर और अल्बर्ट हॉल की शानदार इमारत सवाई रामसिंह की देन हैं।

उस दौरान कितनी रियासतें थी: राजस्थान में कुल 22 छोटी बड़ी रियासतें थी। जिसमें कोटा और अजमेर सबसे बड़ी रियासत मानी जाती थी। मुगल साम्राज्य पतन के बाद अंग्रेजों की हुकूमत शुरू हुई। अंग्रेजों के लिए यह टेड़ी खीर था कि यहां के रियासतों पर अपना सिक्का जमाना। ऐसे में अंग्रेजों ने बूंदी, झालावाड़, टोंक, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, किशनगढ़ और शाहपुरा जैसे छोटे रियासतों पर कब्जा करने की सोची। हालांकि राजाओं के तेवरों को देखते हुए अंग्रेजों ने उनके सामने एक अलग ही प्रस्ताव रख दिया।

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