आपका-अख्तर खान

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30 दिसंबर 2012

अगर हम ने खुद को सुधर कर पार्टी पोलिटिक्स की विचारधारा से अलग हट कर अच्छे अच्छे लोगों को संसद और विधानसभा में पहुंचाया तो शायद कुछ बदलाव आ सके

ऐ जाने वाले केसे भुला पाऊंगा में तुझे ..नये आने वाले का केसे और क्यूँ स्वागत कर पाऊंगा में ..मेने और मेरे देशवासियों ने तू जो जा रहा है उसका भी तो पुर खुलूस अंदाज़ में स्वागत क्या था लेकिन क्या मिला तेरे वक्त में मुझे और मेरे देश को ...एक मोनी बाबा .....कई चुनाव ..कई आन्दोलन ..कई बलात्कार ...कई भ्रष्टाचार और सिर्फ सिर्फ लीपा पोती ...सरकार के झूंठे वायदे ..संसद में शोर शराबा ..झूंठ और मक्कारी ..............जी हाँ दोस्तों यह कडवा सच है गुज़रे हुए अंग्रेजी नये साल के कच्चे चिट्ठे का आप सभी ने देखा है लोकपाला का शोर मचा अन्ना बाबा आये दिल्ली के लोगों को  इकठ्ठा किया ..भीड़ जुटाई ....अन्ना बाबा से सरकार का समझोता हुआ मजबूत लोकपाल बिल लायेगे ..लोकपाल बिल तो नहीं आया लेकिन अन्ना और बाबा में फुट पढ़ गयी बाबा को सरकार समर्थित आन्दोलन में उम्मीद थी सरकार उनके हिसाब से घोषणा कर एक दिन में ही उनका आन्दोलन सफल कर देगी लेकिन सरकार तो सरकार ठहरी उसने बाबा का ऐसा तिरस्कार किया के बाबा को शलवार कुरता पहन कर भागना  पढ़ा एक महिला की मोत हो गयी बाबा ने भूख हडताल की लेकिन मोत के डर   से बिना मांगे पूरी हुए बाबा खाना खाते देखे गए .......अब अन्ना जी की बात करते है .अन्ना  जी ने आन्दोलन किया लोकपाल बिल का आन्दोलन था भीड़ देख कर पगला गए वोह सोचते थे भीड़ उनके लियें आई है बढ़ी बढ़ी बातें करने लगे पहले दिली से भागे फिर उत्तर प्रदेश से भागे फिर महाराष्ट्र की मुंबई में तो उनकी मट्टी पलीत हो गयी अन्ना आन्दोलन के नाम पर भीड़ और मिडिया को गुमराह करते रहे और इधर मेच फिक्सिंग के रूप में कोंग्रेस ने सभी चीजों के दाम बढ़ा कर लोगों का जीना दुश्वार कर दिया .....अन्ना ने राजनितिक पार्टी बनाने की घोषणा की फिर बदल गए केजरीवाल ने पार्टी बनाई तो विरोध किया लेकिन अन्ना जब केजरीवाल के साथ नहीं थी तब भी भीड़ केजरीवाल के साथ थी तब अन्ना को पता चला के भीड़ उनकी नहीं भीड़ तो मुद्दों की थी ....केजरीवाल ने मिडिया को जो भ्रष्टाचार के मुद्दे उठाना चाहिए थे वोह उठा कर लोगों को बेनकाब किया भाजपा के राष्ट्रिय अध्यक्ष भ्रष्ट और चोर साबित हुए लेकिन कुछ नहीं हुआ प्रधानमन्त्री के मुंह पर कोयले की कालिख पुती कुछ नहीं हुआ ..सुप्रीम कोर्ट ने काले धन की सूचि सार्वजनिक करने के बारे में कई बार सरकार को निर्देश दिए कोई पालना नहीं हुई ...गरीबों की गेस सिलेंडर और दूसरी सब्सिडियां खत्म की गयी और उद्द्योगपतियों के अरबो रूपये के बकाया माफ़ कर दिए गए ..टू  जी स्पेक्ट्रम ..खेल घोटाला .. कानून का दुरूपयोग का महाभारत हुआ सरकार विदेशी किराने के नाम अपर एक जुट हुई सरकार के घोर विरोधी सपा और बसपा ने संसद की गरिमा के खिलाफ बहिष्कार कर सरकार को जिताया बाद में पता चला के विदेशी किराना ने देश में करोड़ों रुपया लाइजनिंग शुल्क के नाम पर खर्च किया है .......प्रणव द़ा पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच की मांग की गयी लेकिन उन्हें राष्ट्रपति बना दिया गया ..उनके पुत्र ने मर्यादा रहित टिपण्णी की उन्हें माफ़ कर दिया गया ..नंगी बयानबाज़ी का खुला घिनोना खेल चला एक बाबा ने टी वी के माध्यम से अरबों रूपये जनता से बटोर  लियें ...दक्षिणी भारत के मन्दिर बाबा के निधन के बाद खरबों रूपये की सम्पत्ति विवाद का  कारण बनी ....क्रिकेट के सचिन राज्यसभा में गए और क्रिकेट से आउट हो गए ......देश की रक्षा करने  वाले  जनरल वी के सिंह को आम आदमी के साथ आने के बाद पता चला के देश का आम आदमी बनकर अपने हक के लियें लड़ना कितना मुश्किल काम है जबकि वी आई पी बनकर देश की रक्षा करना कितना आसान है ..........राजस्थान में एक बलात्कारी मंत्री जेल गए ...दुसरे मंत्री के खिलाफ सबूत नहीं मिले इसलियें मंत्री पद गवाना पढ़ा ..गोपालगढ़ की मस्जिद में निहत्थों पर राजस्थान पुलिस ने गोलिया चला कर लोगों को भुन डाला .......कोंग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक मनु सिघवी महिलाओं के केसे बंद कमरे में अस्मत लुट कर जज बनवाते है की पोल फेसबुक ने खोल डाली .........महाराष्ट्र मुंबई पुलिस किस तरह से कानून का दुरूपयोग कर लोगों को गिरफ्तार करती है यह बात एक कार्टूनिस्ट की गिरफ़्तारी और दो लड़कियों की गिरफ्तारी के बाद रिहाई ने साबित कर दी .......ऐसी असंख्य शर्मनाक कर देने वाली घटनाए है जिनका ज़िक्र करने से भी सर शर्म से झुक जाता है लेकिन कोई भी ऐसी खुशगवार घटना देखने या सुनने को नहीं मिले जिससे देश का और देश की जनता का सर गर्व से ऊँचा हो गया हो ....अभी हाल ही में उफ़ तोबा दिल्ली की दामिनी घटना ने तो इस पुरे साल को इस पूरी सरकार कोई इस पूरी संसद को कलंकित कर दल .........जनता भीड़ फिर वेसे ही आन्दोलन के लियें गयी जेसे अन्ना के वक्त गयी थी एक बात तो तय हो गयी के भीड़ किसी अन्ना ..किसी बाबा।।किसी राजनीतिक पार्टी की गुलाम नहीं मुद्दों पर सरकार को घेरती है और सरकार आंतकवादियों का दर बता कर लाठियां बरसाती है और भी कुछ बहुत कुछ जख्म है जो इस जाने वाले साल ने हमे दिए है जो भुलाए भी नहीं जा सकते और इन जख्मों को भरा भी नहीं जा सकता लेकिन हम देखते है सोचते है प्रतिक्रिया देते है फिर वाही चो लुटेरे बलात्कारियों अपराधियों को वोट देकर अपना नेता चुन कर इस देश को लुटने इसे मटियामेट करने के लियें कुर्सियों पर बिठा देते है जब तक हम नहीं सुधरेंगे तब तक यह देश और इस देश के नेता सुधरना मुश्किल है अगर हम ने खुद को सुधर कर पार्टी पोलिटिक्स की विचारधारा से अलग हट कर अच्छे अच्छे लोगों को संसद और विधानसभा में पहुंचाया तो शायद कुछ बदलाव आ सके ...........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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