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10 दिसंबर 2012

भारती-वॉलमार्ट की सफाई-भारत में नहीं हुआ खर्च



नई दिल्‍ली. भारत में विदेशी किराना  को मंजूरी मिलने के मामले में नया विवाद खड़ा हो गया है। बीजेपी ने वॉलमार्ट की तरफ से लॉबिंग के नाम पर घूस दिए जाने का आरोप लगाते हुए सरकार से इस मामले में जवाब मांगा है। इस मुद्दे पर भारती-वॉलमार्ट ने एक बयान जारी कर कहा है कि लॉबिंग पर जो रकम खर्च की गई बताई गई है, वह अमेरिका में खर्च की गई है। सोमवार को राज्‍यसभा की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष ने वॉलमार्ट के मसले पर हंगामा शुरू कर दिया। इस वजह से सदन की कार्यवाही पहले 10 मिनट के लिए, फिर दोपहर दो बजे और आखिरकार मंगलवार तक के लिए स्‍थगित करनी पड़ी।
बीजेपी सांसद रविशंकर प्रसाद ने सदन में वॉलमार्ट की लॉबिंग का मसला उठाते हुए कहा कि यह बेहद गंभीर विषय है। लॉबिंग एक प्रकार की रिश्‍वत होती है। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि चूंकि लॉबिंग भारत में गैरकानूनी है, इसलिए अमेरिकी संसद की रिपोर्ट के आधार पर वॉलमार्ट के खर्च की जांच होनी चाहिए। उन्‍होंने कहा, 'यदि ऐसा लगता है कि रिश्‍वत दी गई है तो घूस का यह पैसा किसे मिला है? सरकार को जरूर इसका जवाब देना चाहिए।' केंद्रीय मंत्री राजीव शुक्‍ला ने कहा है कि संबंधित मंत्री इस मसले पर जवाब देंगे। सपा सांसद मोहन सिंह का कहना है कि उनकी पार्टी का कोई भी सांसद लॉबिंग में शामिल नहीं हो सकता है क्‍योंकि सपा के किसी सांसद को अंग्रेजी नहीं आती है। गौरतलब है कि लॉबिंग अमेरिका में तो जायज है लेकिन भारत में यह गैरकानूनी है। (
अमेरिका की मशहूर रिटेल कंपनी वॉलमार्ट भारत के बाजार पर लंबे अरसे से निगाहें जमाए हुए थी। इसके लिए वह चार साल से अमेरिकी सांसदों के बीच लॉबिंग भी कर रही थी। इस दौरान कंपनी ने इस काम में 125 करोड़ रुपए (250 लाख डॉलर) खर्च किए। अमेरिकी सीनेट में रखी गई वॉलमार्ट की रिपोर्ट में यह जानकारी दर्ज है।
रिपोर्ट के मुताबिक भारत में एफडीआई पर संसद में हुई चर्चा के लिए भी वॉलमार्ट ने लॉबिंग की )। इस काम में उसने 10 करोड़ रुपए (16.50 लाख डॉलर) लगाए हैं। इससे पहले वह 2008 से लगातार भारत में प्रवेश के लिए लॉबिंग कर रही थी। केवल 2009 की कुछ तिमाहियों में उसने इस काम में पैसे नहीं खर्च किए।  साल 2012 में कंपनी ने लॉबिंग करीब 18 करोड़ रुपए (30 लाख डॉलर) खर्च किए हैं। इसमें भारत में रिटेल में एफडीआई का मसला शामिल है। भारत ने हाल में कड़े और लंबे राजनीतिक विरोध के बाद हाल में अपने मल्टीब्रांड रिटेल सेक्टर को एफडीआई के लिए खोला है। इसके विरोध में विपक्ष का प्रस्ताव संसद में गिर गया।

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