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03 दिसंबर 2012

काल भैरवाष्टमी 6 को, दुष्टों को दंड देते हैं भगवान कालभैरव




मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को काल भैरवाष्टमी कहते हैं। इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा की जाती है। धर्म शास्त्रों के अनुसार इसी दिन भगवान काल भैरव का अवतरण हुआ था। इस बार काल भैरवाष्टमी का पर्व 6 दिसंबर, गुरुवार को है।
शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव के दो स्वरूप बताए गए हैं। एक स्वरूप में महादेव अपने भक्तों को अभय देने वाले विश्वेश्वरस्वरूप हैं वहीं दूसरे स्वरूप में भगवान शिव दुष्टों को दंड देने वाले कालभैरव स्वरूप में विद्यमान हैं। शिवजी का विश्वेश्वरस्वरूप अत्यंत ही सौम्य और शांत हैं यह भक्तों को सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करता है।
वहीं भैरवस्वरूप रौद्र रूप वाले हैं, इनका रूप भयानक और विकराल होता है। इनकी पूजा करने वाले भक्तों को किसी भी प्रकार डर कभी परेशान नहीं करता। कलयुग में काल के भय से बचने के लिए कालभैरव की आराधना सबसे अच्छा उपाय है। कालभैरव को शिवजी का ही रूप माना गया है। कालभैरव की पूजा करने वाले व्यक्ति को किसी भी प्रकार का डर नहीं सताता है।

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