जयपुर.हाई कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया है वह 31 जनवरी, 2013
तक भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति तय करे, अन्यथा 1 फरवरी को
मुख्य सचिव अदालत में पेश हों। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एनके जैन व
न्यायाधीश मीना वी.गोम्बर की खंडपीठ ने यह अंतरिम आदेश पीसी भंडारी की
जनहित याचिका पर दिया।
मामले की सुनवाई के दौरान अतिरिक्त महाधिवक्ता आईआर सैनी ने जवाब के लिए समय मांगते हुए कहा कि 190 मामलों में से चार में हाई कोर्ट की रोक है और बाकी में से 39 मामलों को तय कर दिया है। इस पर खंडपीठ ने कहा कि अदालत ने सरकार को 3 सितंबर के आदेश से ऐसे मामलों का निपटारा तीन महीने में करने का निर्देश दिया था, लेकिन उसने नहीं किया, जो अवमानना का मामला बनता है। अदालत ने सरकार को 31 जनवरी तक का समय देते हुए मामलों में अभियोजन स्वीकृति तय करने का निर्देश दिया।
गौरतलब है कि याचिका में कहा था कि सरकारी अफसर रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़े जाते हैं, लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नही होती और सरकार मुकदमा चलाने की मंजूरी भी नहीं देती, लिहाजा ऐसे लंबित मामलों का निपटारा जल्द करवाया जाए।
मामले की सुनवाई के दौरान अतिरिक्त महाधिवक्ता आईआर सैनी ने जवाब के लिए समय मांगते हुए कहा कि 190 मामलों में से चार में हाई कोर्ट की रोक है और बाकी में से 39 मामलों को तय कर दिया है। इस पर खंडपीठ ने कहा कि अदालत ने सरकार को 3 सितंबर के आदेश से ऐसे मामलों का निपटारा तीन महीने में करने का निर्देश दिया था, लेकिन उसने नहीं किया, जो अवमानना का मामला बनता है। अदालत ने सरकार को 31 जनवरी तक का समय देते हुए मामलों में अभियोजन स्वीकृति तय करने का निर्देश दिया।
गौरतलब है कि याचिका में कहा था कि सरकारी अफसर रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़े जाते हैं, लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नही होती और सरकार मुकदमा चलाने की मंजूरी भी नहीं देती, लिहाजा ऐसे लंबित मामलों का निपटारा जल्द करवाया जाए।
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