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05 नवंबर 2012

बुजुर्गों से मांगा जा रहा ऐसा सार्टीफिकेट कि सुन कर आ जाए शर्म




जयपुर. जिंदा होने के बावजूद खुद का जीवित प्रमाण-पत्र पेश करने वाले बुजुर्ग पेंशनरों का एक दर्द और भी है। 60 साल से अधिक उम्र की महिला पेंशनरों को हर साल नवंबर में इस बात का प्रमाण-पत्र देना पड़ता है कि उन्होंने दूसरा विवाह नहीं किया है।
इस प्रमाण-पत्र के बिना महिला पेंशनरों को पेंशन व भंडार से दवा मुहैया नहीं कराई जाती। सोमवार को भास्कर ने पेंशनरों से बात की तो उनका यह दर्द फूट पड़ा। महिला पेंशनरों ने कहा- यह नियम बदलना चाहिए।
सीकर के आनंद नगर की सेवानिवृत्त व्याख्याता 65 वर्षीय सीता शर्मा बताती हैं कि नवंबर का महीना आते ही परेशानी खड़ी हो जाती है। शादी नहीं किए जाने संबंधी प्रमाण-पत्र देने के लिए मियाद भी दस नवंबर तक तय की हुई है।
पहले राजपत्रित अधिकारी के यहां चक्कर लगाते हैं। इसके बाद बैंक में समस्याओं से दो चार होते हैं। बैंककर्मी भी ठीक से व्यवहार नहीं करते हैं।
ऐसे में सरकार को यह नियम हटाकर कोई दूसरा रास्ता निकालना चाहिए। ताकि बुजुर्गों का सम्मान बना रहे। 64 वर्षीय सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य रतनी आर्या व सेवानिवृत्त सहायक कर्मचारी 68 साल की शांति देवी नायक ने भी कुछ ऐसी ही पीड़ा बयां की।
इन्होंने सरकार से सवाल किया कि आखिर उन्हें अपमानित करने का किसी को क्या अधिकार है? जिंदा होने पर सबूत मांगना और इससे बढ़कर यह पूछकर लज्जित करना कि क्या आपने पुनर्विवाह तो नहीं कर लिया है?
यह कहां तक जायज है? क्या यह नहीं सोचना चाहिए कि आखिर 60 पार महिला से यह कैसा प्रमाण लिया जा रहा है। सेवानिवृत्त जिला शिक्षा अधिकारी निर्मला परिहार ने कहा कि महिला पेंशनर को राहत के लिए सरकार को यह नियम हटा देना चाहिए।

एक ही प्रमाण पत्र में तीन तरह की तस्दीक करते हैं। इसमें जीवित होने का सबूत, पुनर्विवाह नहीं किया है और कहीं नौकरी तो नहीं कर रही हैं, शामिल है। पुनर्विवाह सहित यह तीनों प्रमाण पत्र एक से 10 नवंबर के बीच लेते हैं।
बीसी जैन मुख्य प्रबंधक,एसबीआई

यह है नियम
1977 के आदेश के अनुसार पेंशन रूल के बिंदु संख्या 10.2 में उल्लेख किया गया है कि पेंशनर से पुनर्विवाह का कोई प्रमाण-पत्र नहीं मांगा जाएगा। फैमिली पेंशन पाने वाले से उसी स्थिति में प्रमाण पत्र मांगा जाएगा, जब उसने पुनर्विवाह किया हो। यह भी उसे विवाह के वक्त सूचना के तौर पर देना होता है।

पेंशन लेने जाते हैं तो वहां पेंशन स्टेटमेंट नहीं दिया जाता है कि उन्हें कितना डीए मिल रहा है, कितना एरियर बना है और कितनी महंगाई का भत्ता मिला है।

बैंककर्मियों का पेंशनरों के प्रति बर्ताव ठीक नहीं रहता।
पेंशनर्स और अन्य उपभोक्ताओं के लिए एक ही काउंटर होने से परेशानी होती है।

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