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30 नवंबर 2012

जानिए, कौन से लोग होते है अच्छे, कौन होते हैं झूठे




हमने दुनियाभर में कई लोगों को देखा है जो बातें कुछ करते हैं और वास्तव में होते कुछ और ही हैं। ऐसे लोगों को तरह-तरह के नामों से पुकारा जाता है। वास्तव में हमारे धर्मग्रंथों में भी इस तरह के चरित्र वाले लोगों के लिए कई बातें कही गई हैं।
हिंदू धर्म में सबसे पवित्र और व्यवहारिक ज्ञान का भंडार माने जाने वाले ग्रंथ गीता में भी इस तरह के लोगों का उल्लेख किया गया है। भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा है कि ऐसे लोग जो ऊपर से आत्म नियंत्रण का अभिनय करते हैं और मन ही मन उन्हीं विषयों के बारे में सोचते रहते हैं, ऐसे लोगों को मिथ्याचारी कहते हैं।
जो मनुष्य इंद्रियों को पूरी तरह से वश में करके उनसे मोह रहित हो जाए, अनासक्त हो जाए, वो मनुष्य ही सबसे श्रेष्ठ होता है।

कर्मेन्द्रियाणि संयम्य य आस्ते मनसा स्मरन।
इन्द्रियार्थान्विमूढात्मा मिथ्याचारः स उच्यते।। गीता अध्याय 3, श्लोक 6
अर्थ - जो मूर्ख मनुष्य समस्त इंद्रियों को ऊपर से हठपूर्वक रोक कर मन से उन्हीं इंद्रियों के विषयों का चिंतन करता है, ऐसा मनुष्य मिथ्याचारी कहलाता है।

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