इस दिन से जुड़े यम और यमुना का पौराणिक प्रसंग भी रिश्तों और जीवन को दीर्घ बनाए रखने के लिए संबंधों में प्रेम और विश्वास का संदेश देता है। धार्मिक उपायों में इस दिन यम का विशेष मंत्र से स्मरण और दीप प्रज्जवलन का महत्व बताया गया है। जानते हैं यमदेव की सरल पूजा विधि और विशेष मंत्र -
यमदेव की सरल पूजा विधि -
- शाम को यम तर्पण या यम उपासना करें। यम तर्पण में शाम को नदी या तीर्थ में दक्षिण दिशा में मुंह कर हथेलियों में जल, तिल और कुश लेकर नम: यमाय या नम: धर्मराजाय बोलकर जल छोड़ें। इस दिन जनेऊधारी हो तो जनेऊ को माला की तरह पहने और काले, सफेद तिलों को उपयोग में लें।
- इसी तरह शाम को तिल के तेल से भरे 5 या 11 दीपक जलाकर उसकी गंध, अक्षत, पुष्प से पूजा करें और दक्षिण दिशा में मुंह करके यमदेवता का ध्यान कर मंदिर या तीर्थ में दीपदान करें। साथ ही नीचे लिखें यम गायत्री मंत्र का यथाशक्ति या कम से कम 108 बार स्मरण करें -
ऊँ सूर्यपुत्राय धीमहि
महाकालाय धीमहि
तन्नो यम: प्रचोदयात्।।
- यमदेवता की आरती कर काल, भय व रोग मुक्ति की कामना करें।
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