वाराणसी. काशी के मणिकर्णिका तीर्थ पर जलती चिताओं के बीच
तंत्र साधना होती है । दीपावली के ठीक एक दिन पहले से ही तंत्र की साधना
करने वाले महाश्मशान पर वर्ष की इस काली निशा पर देवी काली और भैरव की
उपासना के साथ ही बाबा मशाननाथ के सामने बैठकर सिद्धियों की प्रप्ति के लिए
पूरी रात आराधना और तंत्र क्रिया करते हैं।
महाश्मशान पर किए जाने वाले इस अनुष्ठान में मशाननाथ के मंदिर से
लेकर उस स्थान पर तन्त्र क्रिया की जाती है, जहां लगातार चिताएं जलती रहती
हैं। पीठाधीश्वर- महाश्मशान बाबा नागनाथ बताते हैं कि इस पूजा में वैसे तो
बली देने का भी विधान है और दीपावली की रात्रि को महानिशा काल कहा जाता
है। इसीलिए एक दिन पहले से की गई तंत्र साधना का अलग महत्व है।
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