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26 नवंबर 2012

पार्टी लॉन्‍च होते ही सामने आया टीम केजरीवाल का 'धोखा'!



नई दिल्ली. अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को अपनी राजनीतिक पार्टी 'आम आदमी पार्टी' की औपचारिक लांचिंग कर दी। लेकिन इसी के साथ टीम अन्‍ना और फिर टीम केजरीवाल के सक्रिय सदस्‍य , कवि कुमार विश्‍वास का 'धोखा' भी सामने आ गया। कुछ महीने पहले पार्टी का घोषणापत्र जारी किए जाने के मौके पर विश्‍वास ने कहा था कि यह मंच पर उनका आखिरी दिन है। उन्‍होंने पार्टी से दूर रहने की बात कही थी। लेकिन वह न केवल पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्‍य बने, बल्कि पार्टी लांच किए जाने के मौके पर उन्‍होंने मंच से भाषण भी दिया। 
जंतर-मंतर पर जुटी भीड़ को संबोधित करते हुए केजरीवाल के सहयोगी मनीष सिसौदिया ने पार्टी का नाम आम आदमी पार्टी बताया। सिसौदिया ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी के 23 सदस्यों के नामों की घोषणा भी की। इसमें मनीष सिसौदिया, कुमार विश्वास, प्रशांत भूषण, दिनेश वाघेला, संजय सिंह, गोपाल राय आदि शामिल हैं। (
 
दिनेशा वाघेला ने बताया, 'केजरीवाल पार्टी के राषट्रीय संयोजक होंगे, पंकज गुप्ता राष्ट्रीय सचिव और कृष्ण कांत पार्टी का राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष होंगे।' पार्टी लांच करने से पहले अरविंद केजरीवाल और उनके समर्थकों ने राजघाट पर महात्मा गांधी की समाधि पर प्रार्थना भी की। उन्होंने बी आर अंबेडकर को भी श्रद्धांजलि दी। केजरीवाल ने 26 नवंबर को पार्टी की लांचिंग का दिन इसलिए चुना क्योंकि इसी दिन 1949 में भारत के संविधान को अपनाया गया था। 
 
केजरीवाल की पार्टी लॉन्‍च होने के साथ ही कई सवाल भी उठ खड़े हुए हैं। क्या कांग्रेस और बीजेपी जैसी बड़ी पार्टियों के इतर केजरीवाल और उनमें यकीन करने वाले लोग देश में कोई स्थायी तीसरा विकल्प दे पाएंगे? क्या उनकी पार्टी राजनीति के मौजूदा मुहावरों को बदल पाएगी? क्या वे जनता के बीच से, जनता के लिए और जनता के द्वारा की जाने वाली राजनीति का सपना पूरा कर सकेंगे? 
 
भारतीय राजस्व सेवा के पूर्व अधिकारी और आईआईटी जैसे संस्थान के छात्र रहे अरविंद केजरीवाल पिछले डेढ़ सालों से लगातार सुर्खियों में हैं। सूचना के अधिकार को लेकर सक्रिय रहे केजरीवाल मैगसेसे पुरस्कार जीत चुके हैं। अरविंद केजरीवाल की शख्सियत में ऐसी कई खास बातें हैं, जो उनमें कई लोगों को उम्मीद और आस्था रखने के लिए आकर्षित करती हैं। लेकिन दूसरी तरफ ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है जो उनमें कई खामियां भी देखते हैं। आलोचकों का मानना है कि उनकी कमियां उनके उद्देश्य की राह में बड़ा रोड़ा हैं।

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