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07 नवंबर 2012

भगवान करे किसी मां को कभी भी ऐसा न करना पड़े



भोपाल। भले ही कोर्ट ने मेरे पक्ष में फैसला सुनाया हो, लेकिन इससे एक मां का दिल तो टूटा ही है। भला ऐसी कौन मां होगी, जिसे बहू-बेटे को जेल होने पर खुशी होगी। लेकिन, मेरे पास और कोई चारा भी नहीं था। उन्होंने स्थिति ही ऐसी बना दी थी कि मुझे मजबूरन एफआईआर दर्ज कराना पड़ी। ईश्वर से यही कामना है कि मेरी तरह किसी और मां को बहू-बेटे के खिलाफ कानून का सहारा न लेना पड़े।
इतना कहते-कहते 65 वर्षीय कमलेश सुंचे रो पड़ीं। श्रीमती सुंचे को प्रताडि़त करने के आरोप में उनके बहू-बेटे को कोर्ट ने नौ महीने की जेल और 11 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। कमलेश ने बताया कि एफआईआर दर्ज कराने से पहले उनके मामले को परामर्श केंद्र में रखा गया था। बेटे-बहू की काउंसलिंग भी कराई गई थी। काउंसलिंग के दौरान उन्होंने समझौता तो कर लिया लेकिन बाद में फिर वही व्यवहार शुरू कर दिया। गत 23 मार्च को उन्हें बुरी तरह से पीटा और घर से निकाल दिया।
इसके बाद तंग आकर 24 मार्च को उन्होंने टीटी नगर थाने में बेटे पंकज और बहू बरखा के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई। पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश कर दिया, जहां से उन्हें जमानत मिल गई। इसके बाद पंकज और बरखा के अत्याचार बहुत बढ़ गए। उनका कहना था कि एक बार मामला दर्ज हो ही गया है, अब पुलिस उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकती। बढ़ते अत्याचार से परेशान होकर राज्य महिला आयोग में शिकायत की।
कमलेश ने बताया कि आयोग की अध्यक्ष उपमा राय ने इस मामले में टीटी नगर पुलिस को निर्देश दिए कि जब तक कोर्ट का फैसला नहीं आता, उन्हें सुरक्षा प्रदान की जाए। पुलिस ने घर पहुंचकर बेटे-बहू को समझाइश दी और उन्हें अलग रहने की सलाह दी। इसके बाद से कमलेश अलग रह रही हैं। गौरतलब है कि संपत्ति विवाद को लेकर कमलेश सुंचे ने 24 मार्च 2012 को टीटी नगर थाने में शिकायत की थी कि उनका बड़ा बेटा पंकज और बहू बरखा उसके साथ आए दिन मारपीट करते हैं और उन्हें अपने ही घर से निकाल दिया है।
उपेक्षा के शिकार हैं भोपाल के बुजुर्ग
हेल्प एज इंडिया के एक सर्वे में सामने आया है कि भोपाल में 56 प्रतिशत बुजुर्ग ऐसे हैं, जो अपने बेटों और बहुओं से प्रताडि़त हैं। हालत यह है कि देश के 20 बड़े शहरों में हुए सर्वे में बुजुर्गों की प्रताडऩा के मामले में भोपाल सबसे अव्वल रहा। यही नहीं सबसे ज्यादा प्रताडि़त बुजुर्ग उच्च और मध्यम वर्ग के हैं। भोपाल के 25 बुजुर्गों ने तो अपने बहू-बेटों के खिलाफ भरण-पोषण अधिनियम के तहत मामला भी दर्ज कराया है।
बुजुर्गों के खिलाफ भोपाल में मामले
एसडीएम कोर्ट में आए मामले : 27
निराकृत प्रकरण : 12
लंबित मामले : 14
सजा : 1
प्रदेश में कुल मामले
एसडीएम कोर्ट पहुंचे प्रकरण : 295
निराकृत प्रकरण : 185
लंबित मामले : 86
सजा : 24
(स्रोत: सामाजिक न्याय विभाग, आंकड़े: मई 2011 से मई 2012 की अवधि के)

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