वडोदरा में सेवारत रहीं अलकाबहन तबादले के तहत डीसा पहुंची हैं। मंगलवार रात उन्हें इसी तरह कार में बितानी पड़ी। बुधवार को वकीलों के समर्थन में आने और हंगामा करने पर प्रशासन सक्रिय हुआ। वकीलों ने जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी की है।
त्योहारी अवकाश के बाद वे सोमवार को डीसा आईं, दिन भर काम किया। जिला जज ने पालनपुर (बनासकांठा जिला मुख्यालय) में उनके लिए व्यवस्था की। अगले दिन मंगलवार को डीसा में ठहरने की कोई व्यवस्था नहीं हुई तो उन्होंने अदालत परिसर में ही रात बिताने का फैसला किया क्योंकि खुद के साथ न्यायाधीश की गरिमा जुड़े होने की वजह से वे किसी संबंधी के घर अथवा होटल में भी नहीं जा सकती थीं, इसलिए अदालत परिसर में रात बिताई। बुधवार को महिला जज ने अपने डिपार्टमेंट के माध्यम से रूम के आवंटन की मांग की किन्तु कुछ नहीं हुआ, तो वे बुधवार को भी अदालत परिसर में ही जम गईं।
एक महिला न्यायाधीश का ये विरोध का अपना तरीका हो सकता है। लेकिन किसी होटल में ठहरने से भला एक न्यायाधीश की गरिमा कैसे प्रभावित हो सकती है? प्रशासन की लापरवाही हो या कुछ और उचित स्थान पर ठहर कर भी इसके खिलाफ कोई कार्यवाही की जा सकती थी।
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