उदयपुर.जिले के कई गांवों में अब नवरात्रि के दौरान बली नहीं दी
जाएगी। इसके स्थान पर मीठी प्रसादी का आयोजन होगा। यह निर्णय सोमवार को पई,
उंदरी, दमाना, जगन्नाथपुरा, डीमड़ी, चरपुर, बिजली, झाड़ोल, मोडीफलां,
गामणा बेड़ा, उपली सरदरी, पालावाडा, झालरा फलां, बेडवपाडा, उबरी, खादरा,
उभरियाजी, बागपुरा आदि गांवों के भोपों ने लिया है।
इन भोपों को बली प्रथा को त्यागने के लिए दिनेश मुनि, महाश्रमणी पुष्यवती, महासती सोहन कुंवर, जैन महिला मंडल की सदस्याओं ने प्रेरित किया है। भोपों ने सोमवार को तारक गुरु जैन ग्रंथालय में श्रमण संघीय सलाहकार दिनेशमुनि, डॉ. द्वीपेन्द्र मुनि एवं डॉ. पुष्पेंन्द्र मुनि के सामने भविष्य में कभी भी बलि नहीं चढ़ाने का संकल्प लिया।
पांच देवरों से हुई थी शुरुआत
दिनेश मुनि ने बताया कि 2003 में उपाध्याय पुष्कर मुनि की जयंती पर ग्रामीणों में अलख जगाने के लिए इस अभियान को शुरू किया गया था। आरंभ में महज पांच देवरे लिए लेकिन धीरे-धीरे इस प्रयास में कई लोग जुड़ते चले गए। वर्तमान में 30 देवरों में बली प्रथा बंद कर दी गई है। प्रथा को बंद करने वाले भोपों को जैन समाज की ओर से प्रसाद के लिए घी, शक्कर, चावल प्रदान किया जाता है।
इन भोपों को बली प्रथा को त्यागने के लिए दिनेश मुनि, महाश्रमणी पुष्यवती, महासती सोहन कुंवर, जैन महिला मंडल की सदस्याओं ने प्रेरित किया है। भोपों ने सोमवार को तारक गुरु जैन ग्रंथालय में श्रमण संघीय सलाहकार दिनेशमुनि, डॉ. द्वीपेन्द्र मुनि एवं डॉ. पुष्पेंन्द्र मुनि के सामने भविष्य में कभी भी बलि नहीं चढ़ाने का संकल्प लिया।
पांच देवरों से हुई थी शुरुआत
दिनेश मुनि ने बताया कि 2003 में उपाध्याय पुष्कर मुनि की जयंती पर ग्रामीणों में अलख जगाने के लिए इस अभियान को शुरू किया गया था। आरंभ में महज पांच देवरे लिए लेकिन धीरे-धीरे इस प्रयास में कई लोग जुड़ते चले गए। वर्तमान में 30 देवरों में बली प्रथा बंद कर दी गई है। प्रथा को बंद करने वाले भोपों को जैन समाज की ओर से प्रसाद के लिए घी, शक्कर, चावल प्रदान किया जाता है।
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