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30 अक्तूबर 2012

जब अचानक उठ खड़ी हुई लाश, डर के मारे पुलिस वाले भी भाग गए!



सीकर.नाम टीकम चंद। उम्र 60 साल। हरदम खामोश चेहरा और पेशा मुर्दाघर का रखवाला। जी हां, क्षत-विक्षत शवों को देखने मात्र से जहां लोगों का कलेजा दहल जाता  है, वहां कितना मुश्किल होता  है किसी के लिए जिस्म को चीरना। यह वो शख्स है, जिसकी आधी जिंदगी मुर्दाघर में लाशों को चीरने में बीत गई। 
 
25 साल की उम्र में पिता  से विरासत में मिली नौकरी को 40 साल पूरा करने तक उसने एसके अस्पताल के मुर्दाघर में 25 हजार शवों के पोस्टमार्टम कर दिए। 60 साल की उम्र में टीकम चंद को बुधवार को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी पद से रिटायरमेंट मिल रहा है। लेकिन, वह चाहता है कि उसे ताउम्र अस्पताल इस सेवा में रखे। अस्पताल भी उसके अनुभव पर आगे कांट्रेक्ट पर सेवा चाहता है। नौकरी मिलने पर पहली बार जब पांच शव एक साथ देखे तो सिहर उठा था।         
 
उसके बाद तो लाशों के बीच जीना सीख लिया। छुट्टी तो कभी ली नहीं। बस एसके अस्पताल के मेडिकल ज्यूरिस्ट वार्ड के कमरा नंबर 15 के सामने रखी स्टूल पर पूरा दिन बीतता। उसे अस्पतालकर्मी उसे सर्जन भी कहने लगे। लाशों को चीरते चीरते वह इतना दक्ष हो गया कि शव को देखकर बता देता है कि हत्या है या आत्महत्या। सर्जन को बस इतना कहना होता कि शव के कौनसे हिस्से से विसरा के लिए अंग निकालना है। 
 
फिर यह बताने की जरूरत नहीं कि कहां लीवर और कौनसी जगह आंत है। 11 साल तक टीकम ने जिस मेडिकल ज्यूरिस्ट डा. बीएल चौधरी के साथ बिताए उन्हें टीकम की ईमानदारी पर बड़ा भरोसा है। बताते हैं, ऐसा कभी न देखने में आया और न सुनने में कि टीकम ने कभी कोई स्वार्थ पाला हो। वह नौकरी के प्रति सदा समर्पित रहा। नौकरी के दौरान हर साल औसत 750 से 900 पोस्टमार्टम करने वाला टीकम चंद घर पर भी बिलकुल खामोश रहता है। मानो मुर्दो के साथ रहते हुए उसने भी चुप रहना सीख लिया।
 
जब पत्थर दिल भी रोया
 
पोस्टमार्टम करते करते वह पत्थर दिल हो गया, लेकिन एक बार उसके भी आंसू निकले पड़े थे। करीब दस साल पहले कुड़ली के पास सड़क हादसे में 18 युवाओं की एक साथ मौत हो गई थी। उनका पोस्टमार्टम करते समय टीकम की आंखों में पहली बार आंसू देखे गए थे। वह फतेहपुर के शराब दुखांतिका में मरने वाले 22 शवों के अलावा लोसल के पास हुई सड़क दुर्घटना में मरे 23 लोगों के शवों के एक साथ पोस्टमार्टम किए थे।
 
जब मुर्दाघर में लाश खड़ी हुई तो डॉक्टर -पुलिस भी भाग छूटे थे
 
करीब 16 साल पहले एक्सीडेंट में मौत के बाद पांच शवों के पोस्टमार्टम के लिए जब टीकम चंद ने मोर्चरी का दरवाजा खोला तो सामने एक लाश खड़ी हो गई। वह दरवाजे को पकड़े ठहर गया। यह देखकर वहां बाहर खड़े लोगों के रोंगटे खड़े हो गए। पुलिस व डॉक्टर भी मौके से दूर भाग निकले। टीकम ने हिम्मत करके पास पड़ा बांस उठाया और लाश को नीचे गिराया। दरअसल ऐसा मांसपेशियों के जकड़ने से ज्वाइंट पर जोड़ पड़ने से होता है।

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