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15 अक्तूबर 2012

34 साल बाद अनोखा संयोग, कुछ खास है इस बार का नवरात्र



 

ग्वालियर। नवदुर्गा महोत्सव मंगलवार 16 अक्टूबर से शुरू हो रहा है। 34 साल बाद इस बार नवरात्र मंगलवार से शुरू होकर मंगलवार को ही समाप्त हो रहे हैं। इससे पहले आठ दिन के नवरात्र का संयोग 1978 में बना था। अब 27 साल बाद सन् 2039 में ऐसी स्थिति आएगी। इस नवरात्र में देवी मां के साथ हनुमान जी की भी कृपा बनी रहेगी। कर्मकांड विशेषज्ञों के अनुसार, कलश स्थापना के लिए सुबह 10:58 से दोपहर 12:24 बजे तक का समय श्रेष्ठ है।
देवीभक्त मंगलवार से मां भगवती की आराधना में लीन हो जाएंगे। मंदिरों में पूरे नवरात्र तक विशेष अनुष्ठान किए जाएंगे, कई घरों में नित्य दुर्गा सप्तशती का पाठ होगा तथा जगह-जगह जागरण, कीर्तन व अन्य कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। कई जगह मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित होगी।  काली माता मंदिर आमखो, काली माता मंदिर पुराना हाईकोर्ट, नहर वाली माता, शीतला माता और वैष्णो देवी माता मंदिर में सोमवार की शाम तक तैयारियां पूरी कर ली गईं। इन मंदिरों को आकर्षक ढंग से सजाया गया है। नवरात्र पर जहां कुछ लोग आठ दिन का उपवास रखेंगे, वहीं कुछ लोग पहले और अंतिम दिन।
कलश स्थापना के लिए यह सामग्री जरूरी
वैदिक पंडित हरिओम शर्मा के अनुसार, कलश स्थापना के लिए कलश, रोली, चावल, सिंदूर, पान, लौंग, इलायची, घी का दीपक, अगरबत्ती या धूप बत्ती, मिठाई, दूध, दही, पूजा की सुपारी, कलावा, मेवा, जौ की आवश्यकता होती है। नवरात्र में दुर्गा सरस्वती का पाठ करने से शीघ्र मनोकामना पूरी होती है। वहीं ज्योतिषाचार्य विजयभूषण वेदार्थी ने बताया कि नवदुर्गा महोत्सव इस बार मंगलवार और चित्रा नक्षत्र में  प्रारंभ हो रहा है। इस कारण महंगाई में वृद्धि होगी। इस बार चतुर्थी तिथि का क्षय होने के कारण नवरात्र आठ दिन के होंगे।

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