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19 अक्तूबर 2012

गंगा के गुनहगार: 2000 करोड़ रुपये बहा कर भी 10000 फीसदी जहरीला हुआ पानी



लखनऊ. गंगा का प्रदूषण न सिर्फ हमारी संस्कृति के लिए खतरा है बल्कि अब यह जीवन के लिए भी बड़ा खतरा है। गंगा उत्तर भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है। यहां जिंदगी भी इसके इर्द-गिर्द ही घूमती है। उत्तर भारत को जीवन देने वाली गंगा अब स्वयं अपने जीवन के लिए संघर्ष कर रही है। गंगा न सिर्फ पानी में फैले प्रदूषण का उदाहरण है बल्कि गंगा हमारे प्रदूषित हो चुके प्रशासनिक सिस्टम का भी शर्मनाक नमूना है।
 
गंगा की बर्बादी के लिए जितना इसे प्रदूषित करने वाले जिम्मेदार हैं, उससे कहीं ज्यादा वो लोग जिम्मेदार हैं, जिन्हें इसे प्रदूषण मुक्त करने की जिम्मेदारी दी गई थी। गंगा के किनारे बसे औद्योगिक शहरों का कचरा दिन-प्रतिदिन इस नदी को जहरीला बनाता जा रहा है। गंगा को प्रदूषण मुक्‍त रखने के लिए 27 साल पहले शुरू किेए गए गंगा क्‍शन प्‍लान पर अब तक 2000 करोड़ रुपये से भी ज्‍यादा खर्च हो चुके हैं लेकिन नतीजा सिफर रहा है। वाराणसी में गंगा के प्रदूषण का स्‍तर इतना खतरनाक है कि नदी का जल पीने के पानी की तुलना में 10 हजार फीसदी ज्‍यादा गंदगी पाई गई।

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