एक अखबार से लता मंगेशकर ने कहा था कि रॉयल्टी को लेकर उनके और रफी के
बीच झगड़ा हुआ था। तब रफी ने कहा था कि वह उनके साथ नहीं गाएंगे। उस वक्त
वहां और संगीतकार भी मौजूद थे। इस पर लता ने जवाब में कहा था कि वह खुद
उनके साथ नहीं गाएंगी।
लता ने कहा कि यह मामला म्यूज़िक डायरेक्टर जयकिशन की मदद से सुलझा
लिया गया था। अखबार ने लता के हवाले से लिखा, 'मुझे रफी का लेटर मिला और
झगड़ा खत्म हो गया। लेकिन मैं जब भी उसे देखती हूं, मेरे मन में टीस उभर
आती है।'
लेकिन शाहिद का कहना है कि लता के दावे से उन्हें और रफी साहब के
फैंस को गहरा सदमा लगा है और इसके लिए वह उन्हें कोर्ट में घसीट सकते हैं।
उन्होंने कहा, 'रफी साहब के फैंस आज भी किसी भी कलाकार के फैंस से कहीं
ज्यादा है। अगर वह (लता) यह साबित कर दें कि मेरे पिता ने उन्हें माफी का
खत लिखा था तो मैं माफी मांगने को तैयार हूं।'
शाहिद ने कहा, 'उन्हें लेटर दिखाने दीजिए। मेरे पिता का बरसों पहले
इंतकाल हो चुका है और अब वह इस लेटर की बात कर रही हैं। लोग तो कीमती
दस्तावेज को पचासों साल संभालकर रखते हैं। उन्होंने उस कागज को संभालकर
क्यों नहीं रखा, जिससे उनकी इज्जत बढ़ती।'
शाहिद ने आरोप लगाया कि मंगेशकर ने यह दावा इसलिए किया क्योंकि वह
असुरक्षित हैं। उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि यह उनका लोकप्रियता हासिल
करने का हथकंडा है। वह मेरे पिता के इंतकाल के बाद भी उनके इतने सारे फैंस
की वजह से असुरक्षित हैं।' उन्होंने कहा कि लता मंगेशकर जैसी सीनियर
आर्टिस्ट इस तरह के दावे करके युवा पीढ़ी को गलत संदेश दे रही हैं।
शाहिद ने कहा, 'मेरे पिता और उनके बीच यह झगड़ा 1961 से 1967 के बीच
हुआ था। उस समय मेरे पिता का कोई सानी नहीं था। शम्मी कपूर, धर्मेन्द्र,
जीतेन्द्र, राजेन्द्र कुमार जैसे ऐक्टर्स चाहते थे कि मेरे पिता उनके लिए
गाएं। जबकि उस समय सुमन कल्याणपुर, हेमलता और मुबारक बेगम जैसी कई और
गायिकाएं थीं। ऐसे में हो सकता है कि उस समय लता का करियर खतरे में रहा
हो।'
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