जी हाँ दोस्तों आप है सतीश जी सक्सेना जो भी लिखते है बहतर लिखते है ..जो भी सोचते है बहतर और रचनात्मक सोचते है इनकी के तो सभी कायल है लेकिन म्र्दुलता शब्दों ने इन्हें सभी की का तारा बना दिया है ..भाई सतीश की कहानी मुंह जुबानी ...
मेरे ब्लॉग
मेरे बारे में
लिंग | पुरुष |
उद्योग | अभियांत्रिकी |
स्थान | नॉएडा, भारत |
परिचय | जब से होश संभाला, दुनिया में अपने आपको अकेला पाया, शायद इसीलिये दुनिया के लिए अधिक संवेदनशील हूँ ! कोई भी व्यक्ति अपने आपको अकेला महसूस न करे इस ध्येय की पूर्ति के लिए कुछ भी ,कहीं भी और किसी समय भी तैयार रहता हूँ ! नियमित रक्तदाता हूँ, मरने के बाद किसी के काम आ जाऊं अतः बरसों पहले अपोलो हॉस्पिटल में देहदान कर चुका हूँ ! विद्रोही स्वभाव,अन्याय से लड़ने की इच्छा, लोगों की मदद करने में सुख मिलता है ! निरीहता, किसी से कुछ मांगना, झूठ बोलना और डर कर किसी के आगे सिर झुकाना बिलकुल पसंद नहीं ! ईश्वर अन्तिम समय तक इतनी शक्ति एवं सामर्थ्य अवश्य बनाये रखे कि जरूरतमंदो के काम आता रहूँ , भूल से भी किसी का दिल न दुखाऊँ और अंतिम समय किसी की आँख में एक आंसू देख प्राण त्याग कर सकूं ! |
रुचि | जिनको जरूरत है, उनके काम आना, होमियोपैथी, फोटोग्राफी, मूक जीवों (चूंकि वे हमसे बहुत अच्छे होते हैं) से प्यार |
सतीश जी का कोई सानी नहीं है।
जवाब देंहटाएंउन से मिल कर सदैव ही अत्यन्त प्रसन्नता होती है।