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09 सितंबर 2012

ट्रेनों के खाने की यह सच्चाई जान आप भी करने लगेंगे इससे परहेज


कोटा. आटे में कीड़े, चाय की कैन में कॉक्रोच, हरी मिर्च भी गली और बदबूदार, सब्जियां भी पुरानी और स्वाद खो चुकी, और यही सब यात्रियों को परोसा जा रहा है और आमतौर पर वे शिकायत को भी नजरअंदाज कर जाते हैं कि आखिर कौन किसे उलाहना दे। अपने को तो के वल सफर करना है।
रेलवे बोर्ड रेल यात्रियों को ट्रेनों में बेहतर खानपान देने की घोषणा करता रहे, लेकिन सच्चाई अलग ही है। ट्रेन के पेंट्रीकार (रसोईयान) में न साफ-सफाई होती है, न ही खानपान की वस्तुओं की किस्म व ताजगी का ध्यान रखा जाता है। रविवार को बांद्रा से मुजफ्फरपुर जाने वाली अवध एक्सप्रेस के पेंट्रीकार का जायजा तो बदइंतजामियां ही दिखाई दी। कहीं गली हुई हरी मिर्च पड़ी थी तो कहीं आटे में कीड़े तिलमिला रहे थे।
रेलवे मंत्रालय ने ट्रेन यात्रियों को गर्म व ताजा भोजन दिलाने के लिए लंबी दूरी की ट्रेनों में पेंट्रीकार (रसोईयान) की व्यवस्था की है। पहले पेंट्रीकार का संचालन रेलवे के खानपान विभाग की ओर से किया जाता था। जिसमें रेलकर्मियों की सेवा ली जाती थी, खामी पाए जाने पर उन पर तुरंत कार्रवाई की जाती थी। इस बीच ही पेंट्रीकार की सेवाएं आईआरसीटीसी को दे दी गई। बाद में ट्रेनों में खानपान सेवा ठेके पर दे दी गई। अलग-अलग ट्रेन में अलग-अलग फर्म को ठेके दिए गए। अब खानपान व्यवस्था ठेका फर्म के हवाले है। फर्म ही कर्मचारी रखती है।

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