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10 सितंबर 2012

चमत्कारिक पेड़, काटने पर निकलता है खून और आती है रोने की आवाज


पिहोवा।नीम से दूध टपकने जैसी कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं, लेकिन इन दिनों गढ़ी सिंघा में एक पेड़ अलग कारण से चर्चा में है। यदि इस पर कोई कुल्हाड़ी चलाता है तो इसका खून बहने लगता है। कुछ लोगों का तो यहां तक कहना है कि उन्होंने इसे रोते हुए भी सुना है। अब इसमें कितनी सच्चाई है, यह जांच के बाद ही स्पष्ट हो सकता है, लेकिन इतना जरूर है कि इस पेड़ से वाकई काटने पर लाल रंग का द्रव्य निकलता है। यह द्रव्य क्या है, इसकी वैज्ञानिक जांच से ही पुष्टि हो सकती है। इसे देखने के लिए रोजाना गढ़ी सिंघा में लोगों की भीड़ उमड़ रही है।
पुरानी कथाओं से जुड़ा संबंध
पेड़ को लेकर ग्रामीण बलबीर सिंह, गुरमुख सिंह, हरजीत सिंह, बंता सिंह ने बताया कि पुराने समय में इस जगह पर खेड़ी नामक नगर हुआ करता था। इसमें में एक राजा और रानी राज किया करते थे। उनकी एक पुत्री थी, जिसका राजा ने अलग और रानी ने अलग जगह रिश्ता तय कर दिया। दोनों ने एक दूसरे को इसके बारे में नहीं बताया। तय समय के अनुसार दोनों स्थानों से दूल्हे बारातियों के साथ खेड़ी नगर आ पहुंचे। जब राजा को पता चला कि उनकी लड़की की एक नहीं दो बारातें आई हैं तो राजा ने रानी से इस संकट का समाधान पूछा। रानी ने अपनी पुत्री की इच्छा जाननी चाही तो लड़की ने कहा कि दोनों में से जो महान योद्धा होगा मैं उससे ही विवाह करूंगी। ऐसी शर्त राजा ने दोनों के सामने रखी। युद्ध के दौरान दोनों दूल्हे मारे गए। मान्यता है कि जहां-जहां उनके अंग गिरे वहां-वहां पर ये पेड़ उग गए।
ऐसे यहां सात पेड़ थे
ग्रामीणों ने यह भी बताया कि कुछ समय पहले इस प्रकार के सात वृक्ष हुआ करते थे, जिनमें से छह वृक्षों को कुछ लोगों ने काट डाला। इस स्थान पर केवल एक वृक्ष बचा है। अब इस पर यदि कोई कट लगाता है तो उसमें से लाल रंग का तरल बहने लगता है। वृक्ष की लकड़ी किसी काम में नहीं आती। वृक्ष पर सेहरों जैसी दो से ढाई फुट लंबी फूलों वाली लड़ियां लगती हैं जो देखने से एक दूल्हे के सेहरे जैसी दिखाई पड़ती हैं। इसीलिए कुछ इसे सेहरोंवाला पेड़ कहते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि इस वृक्ष के जो बीज जमीन पर गिरकर छोटे पौधे का रूप लेते हैं, वह मात्र एक फुट का होने के बाद सूख जाते हैं। वह कहीं भी अंकुरित नहीं होता।
बागवानी विभाग भी अचंभित
उद्यान विकास अधिकारी डॉ. मुरारी लाल भी इस अद्भुत वृक्ष को देखकर अचंभित हुए। उन्होंने कहा कि उन्होंने भी इस प्रकार का वृक्ष पहली बार देखा है इस वृक्ष के बारे में वे पूरी तरह से बताने में असमर्थ हैं। वहीं वन विभाग पिहोवा रेंज अधिकारी मुनीष गुप्ता ने भी इस वृक्ष के बारे में बताने में असमर्थता जाहिर की। फिलहाल दोनों विभाग के अधिकारी अपने स्तर पर यह पता लगा रहे हैं यह पेड़ किस प्रजाति का है। इसमें से लाल रंग का तरल क्यों बहता है।
पेड़ों में पैदा होती है लाली- डॉ. सिंह
इस पेड़ को लेकर केयू के बॉटनी विभाग के विशेषज्ञ डॉ. सीबी सिंह ने बताया कि इस प्रजाति के पेड़ के अवलोकन के बाद ही वे कुछ कह पाएंगे, लेकिन शीशम व सफेदा पेड़ सहित कई प्रजातियां ऐसी हैं, जिनकी आयु बढ़ने के साथ-साथ इनमें लाली पैदा होने लगती है। इन्हें काटने पर लाल रंग का पदार्थ निकलता है, लेकिन यह खून नहीं होता।

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